उच्चतम न्यायालय ने दिवालिया कानून (इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड) की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखते हुए इसमें बदलाव लाने की मांग करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। 16 जनवरी को अदालत ने इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा लिया था।
बता दें कि आईबीसी के प्रावधानों को 10 याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दी थी। उनका मानना था कि ऑपरेशनल क्रेडिटर्स को फाइनेंशियल क्रेडिटर्स के बराबर अधिकार मिलें। आईबीसी के तहत कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स में फिलहाल बैंकों जैसे फाइनेंशियल क्रेडिटर्स ही शामिल होते हैं। कंपनी के सप्लायर जैसे ऑपरेशनल क्रेडिटर शामिल नहीं होते। उनके पास दिवालिया प्रक्रिया में वोटिंग का अधिकार नहीं होता। आईबीसी कोड साल 2016 में लागू हुआ था। पिछले साल इसमें संशोधन किया गया था।
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