Shivratri Poems In Hindi | शिवरात्रि पर कविता
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शिव जी की रात अब आयी है
हमने घर पूरा सजाया है
त्यौहार मनाने सब आये हैं
झूम-झूम डमरू बजाने आये हैं
जिनके गले में बैठा है नाग
जिनकी ऊंगलियाँ बजाती हैं राग
जिनका दिल साफ़ है, बिना दाग
जो अपने हाथ में रखते हैं आग
जो भर दिए माँ पार्वती की माँग
और अब नाच के पीते हैं भांग
हम तो हैं भक्त, उनके संग
हमारे जीवन में लगाये रंग
शंकरजी की कृपा हम पर सदा रहे
माँ पार्वती का आशीर्वाद हम सबको मिले
भोलेनाथ जी, मेरी आशा पूरी कर दे
वो क्या है? बस, मुझे मेरा मनचाहा वर दे
महा शिवरात्रि शायरी | Maha Shivratri Shayari
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Maha Shivratri Poems In Hindi
शिव तेरी जटाओ से गंग निकले
तेरे डमरू से ॐ तरंग निकले
तेरा आसन मृग का छाला है
तेरा मन मोहक रूप नीराला है
तेरी भुजाओ से लाखो भुजंग निकले
तेरे डमरू से ॐ तरंग निकले
तुझे महल अटारी न भाता
तू भांग का गोला है खाता
भक्त तुझे जो दिल से पुकारे
तू उसकी झोली भर देता है
शिव भूत प्रेत के संग निकले
तेरे डमरू से ॐ तरंग निकले
शिव सृष्टि के विधाता है
पर पार्वती बिन अधूरे है
शुभ घडी शिव रात्रि की आयी है
शिव शक्ति से ब्याहन को निकले
शिव पार्वती के संग निकले
तेरे डमरू से ॐ तरंग निकले
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Shivratri Poems In Hindi
चलो सखियाँ शिवरात्रि मनायें
शिव पूजन की थाली सजाये
चन्दन रोली अक्षत पुष्प
बेल पत्र भांग धतूरा साथ में लाये
चारों तरफ धूम मची है
शिव ब्याह की शहनाई बजी है
रात्रि जागरण का प्रयोजन है
चलो सब जन उसका साक्षी हो जाएं
शंकर भोले भाले है
भक्तो के निराले है
मस्तक पर त्रिपुण्ड शोभता
चंद्रशेखर कहलाते है
पार्वती इनके बामे अंग विराजती
अशोकसुन्दरी इनकी सुता कहलाती
नहुष इनके जमाता शोभते
कार्तिक गणेश सूत कहलाते
आज अहो भाग्य हमारे है
सृष्टि के रूप निराले है
पंचाक्षरी मंत्र के आज जाप का
महत्व बड़े निराले है
Shivratri Poems In Hindi
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