लखनऊ। केजीएमयू का मनोचिकित्सा विभाग अपने 48 वें स्थापना दिवस का आयोजन शुक्रवार को करने जा रहा है। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि केजीएमयू के कुलपति प्रो एम एल बी भट्ट होंगे। पीजीआईएमईआरए चंडीगढ़ के मनोचिकित्सा विभाग में प्रोफेसर डॉ देबा शीष बसु,टेक्नोलॉजी की लत या लत की टेक्नोलॉजी के विषय पर भाषण प्रस्तुत करेंगे।
सोशल मीडिया को तेज़ी से नशे की लत के रूप में मान्यता
पिछले कुछ वर्षों में टेक्नोलॉजी ने अभूतपूर्व दर पर हमारे रोजमर्रा के जीवन में अपनी जगह बना ली है। आजकल हम में से अधिकतर लोग स्मार्टफोन और लैपटॉप के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते लेकिन क्या टेक्नोलॉजी का नशा वास्तव में इतना खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जून 2018 में ऑनलाइन गेमिंग को एक मानसिक विकार के रूप में मान्यता दी है। सोशल मीडिया के उपयोग को तेज़ी से नशे की लत के रूप में मान्यता दी जा रही है। क्योंकि लोग लगातार ख़बरों के लिए अपने स्मार्टफोन की जाँच कर रहे हैं। या कार्यस्थल पर ऑनलाइन खरीदारी साइटों को ब्राउज़ कर रहे हैं। इंटरनेट सामुदायिक जीवन और सामाजिक रिश्तों में भागीदारी को बेहतर बना रहा है या बिगाड़ रहा है। यह चर्चा का विषय है।
चिकित्सकीय शब्दावली में टेक्नोलॉजी या इंटरनेट की लत टेक्नोलॉजी या इंटरनेट के अत्यधिक और अनियंत्रित प्रयोग से संबंधित व्यवहार है जो इससे जुड़े हुए नकारात्मक परिणामों के बावजूद जारी रहता है। इंटरनेट का उपयोग यदि लत के स्तर पर हो तो यह सामाजिक दायरे के घटने, अवसाद अकेलेपन आत्मसम्मान की कमी और जीवन में असंतुष्टि खराब मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक कार्यों में गिरावट के साथ जुड़ा हुआ है। आमने सामने वाली बातचीत की कमी व्यायाम में कमी देर रात तक टेक्नोलोजी का उपयोग करने से नींद की समस्याओं और तेजी से गतिहीन जीवन शैली को अपनाने के जरिये टेक्नोलॉजी की लत ने न केवल मानसिक स्वास्थ्य, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित किया है।
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