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Sunday, 31 March 2019

नाम बदलने के बाद अब बारी सुल्तानपुर की, राज्यपाल ने सी एम को लिखा

लखनऊ। इलाहाबाद तथा फैजाबाद का नाम बदलने के बाद अब बारी सुल्तानपुर की है। राजपूताना शौर्य फाउंडेशन ने सुलतानपुर का नाम बदलने की मांग की है। योगी आदित्यनाथ सरकार बनने के बाद मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया था। इसके अलावा इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज और फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है।

राजपूताना शौर्य फाउंडेशन के सुलतानपुर का नाम कुशभवनगर करने के अनुरोध पर राज्यपाल राम नाईक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुलतानपुर जिले का नाम बदलकर उसका प्राचीन नाम ‘कुशभवनगर’ करने के बारे में पत्र भेजा हैै। राज्यपाल राम नाईक ने इस पत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बताया है कि राजपूताना शौर्य फाउंडेशन के प्रतिनिधिमंडल ने 25 मार्च को उनसे मुलाकात कर ‘सुल्तानपुर इतिहास की झलक’ नामक पुस्तक और एक ज्ञापन दिया है।

इस ज्ञापन में प्रतिनिधिमंडल ने सुलतानपुर के प्राचीन इतिहास का उल्लेख करने के साथ जिले को हेरिटेज सिटी में शामिल करने का अनुरोध किया है। उन्होंने सुल्तानपुर को हेरिटेज सिटी में शामिल करने और नाम बदलकर कुशभवनपुर करने का अनुरोध किया है। इसके साथ ही सुल्तानपुर का नामकरण उसके प्राचीन नाम ‘कुशभवनगर’ करने का आग्रह किया है। मुख्यमंत्री को पुस्तक और ज्ञापन भेजने के साथ उन्होंने समुचित कार्यवाही की अपेक्षा की है। राज्यपाल ने पत्र में लिखा है कि इस किताब के आधार पर उचित कार्यवाही किया जाए। गौरतलब हैै कि राज्यपाल लोगों से प्राप्त होने वाले ज्ञापनों को सरकार को कार्यवाही के लिए भेजते हैं।

लंबे अरसे से हो रही थी मांग
सुल्तानपुर जिले का नाम बदलने की मांग काफी दिनों से उठ रही है। हाल में सुल्तानपुर नगरपालिका में एक प्रस्ताव भी पास किया गया। इससे पहले सुल्तानपुर के लंभुआ से भाजपा विधायक देवमणि ने विधानसभा में जिले का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा था। देवमणि का कहना था कि अयोध्या से सटे सुल्तानपुर जिले को भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने बसाया था और पौराणिक कथाओं में इसे कुशभवनपुर नाम से जाना जाता था।

भाजपा विधायक का तर्क
देवमणि ने कहा था कि सीता जी यहीं ठहरी थीं। उनकी याद में आज भी सीताकुंड घाट है। सुल्तानपुर के गजेटियर में भी इस बात का उल्लेख है कि इसका नाम कुशभवनपुर ही था। बाद में मुगल शासकों ने इसका नाम बदल दिया था। ऐसे में इसका पुराना नाम होने से जहां गर्व की अनुभूति होगी वहीं शहर का सांस्कृतिक महत्व भी बढ़ेगा।

 

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