1 अप्रैल से नए फाइनेंशियल ईयर की शुरुआत होने वाली है। इस नए फाइनेंशियल ईयर में बैंकिंग सेक्टर में कई बड़े बदलाव होने वाले हैं. इसी बदलाव के तहत 1 अप्रैल से देश को तीसरा बड़ा बैंक मिलने वाला है। देश के तीसरे बड़े बैंक के अस्तित्व में आने के साथ ही इसका असर करोड़ों ग्राहकों पर पड़ने वाला है।
दरअसल, इस साल जनवरी में सरकार ने पब्लिक सेक्टर के दो बैंक- देना बैंक और विजया बैंक के बैंकों बैंक ऑफ बड़ौदा में विलय को मंजूरी दी थी। इन बैंकों के विलय की योजना एक अप्रैल, 2019 से अस्तित्व में आएगी
सका मतलब यह हुआ कि 1 अप्रैल से देना बैंक और विजया बैंक के कर्मचारी, खाते, शेयर आदि बैंक ऑफ बड़ौदा के अधीन आ जाएंगे। इस विलय के बाद बनने वाले बैंक ऑफ बड़ौदा के पास कुल 9401 बैंक शाखाएं और कुल 13432 एटीएम हो जाएंगे।
वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा। इससे पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और आईसीआईसीआई बैंक आते हैं। हालांकि इन बदलावों की वजह से देना बैंक या विजया बैंक में काम करने वाले कर्मचारियों की छंटनी नहीं होगी।
बैंक ऑफ बड़ौदा की वेबसाइट के मुताबिक भारत समेत दुनिया के 22 देशों में इस बैंक के 8.2 करोड़ ग्राहक हैं।वहीं देना और विजया बैंक के ग्राहकों की भी बड़ी तादाद है। ऐसे में सवाल है कि इस विलय के बाद बैंकों पर क्या असर पड़ेगा। इसके बारे में SBI के रिटायर्ड CGM सुनील पंत का कहना है कि विलय से देना और विजया बैंक के ग्राहकों को थोड़ी परेशानी हो सकती है।
उन्होंने बताया कि धीरे-धीरे बैंकों के चेकबुक, अकाउंट नंबर या कस्टमर आईडी में बदलाव संभव है। वहीं पंजाब एंड सिंध बैंक के पूर्व चीफ जनरल मैनेजर जीएस बिंद्रा के मुताबिक विलय के बाद बैंक शाखाओं के IFSC कोड बदल सकते हैं। हालांकि इन बदलावों पर आखिरी फैसला बोर्ड करेगी।
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