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Sunday, 3 March 2019

होम्योपैथी चिकित्सकों को विकास के लिए स्वयं आगे आना होगा-महापौर

दो दिवसीय राष्ट्र्रीय संगोष्ठी होम्योज्ञान का उद्घाटन

लखनऊ। आज की भाग दौड़ की जिंदगी में बीमारियों ने मनुष्य के शरीर में अपनी पैठ बना ली है, तो लोग भी उनका जड़ से इलाज चाहते हैं तो होम्योपैथी चिकित्सा विद्या को अपनाना चाहिए, इससे कोई साईड इफेक्ट भी नहीं होता है। ये बातें महापौर संयुक्ता भाटिया ने आज गोमतीनगर स्थित एक होटल में आयोजित होम्योपैथिक साइंस कांग्रेस सोसाइटी द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्र्रीय संगोष्ठी होम्योज्ञान के उद्घाटन सत्र के दौरान कही।

महापौर ने कहा कि हमारे मध्य ऐसी चिकित्सा पद्धति विद्यमान है। जिसमें उपचार में तो समय लगता है लेकिन यह बीमारी को जड़ से मिटाती है, इसे होम्योपैथी नाम से जानते है। यही कारण है जिसके कारण यह पद्धति तेजी से लोकप्रिय हो रही है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र की खासियत यह है कि यह आर्थराइटिस, डायबिटीज, थायरॉइड और अन्य तमाम गंभीर मानी जाने वाली बीमारियों का प्रभावी इलाज करती है। वह भी बिना किसी साइड इफेक्ट के। होम्योपैथी चिकित्सकों को होम्योपैथी के विकास के लिए स्वयं प्रयास करना चाहिए, साथ ही अपनी पद्धति पर पूरी तरह आत्म विश्वास के साथ रोगियों का उपचार करना चाहिए। चिकित्सकों को रोगियों से बहुत अच्छा व्यवहार करना चाहिए क्योंकि आधा रोग तो चिकित्सक के व्यवहार से ठीक होता है। इस मौके पर भावनगर विश्वविद्यालय के डा. गिरीश पटेल, निदेशक होम्योपैथी डा. वीके विमल, आरोग्य भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डा. बीएन सिंह, पंकज श्रीवास्तव, इलाहाबाद के डा. एसएम सिंह, कार्यक्रम के संयोजक डा. अनिरुद्ध वर्मा सहित बड़ी संख्या में चिकित्सक मौजूद थे। आज शाम को सेमिनार का समापन होगा।

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