एसटीएफ ने तीनों शिक्षकों को जनपद गोरखपुर से दबोचा
लखनऊ। एसटीएफ ने बेसिक शिक्षा विभाग में नौकरी कर रहे सरगना समेत तीन फर्जी शिक्षकों को गोरखपुर से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है। पकड़े गये तीनों आरोपित वर्ष 2016 से दूसरे के शैक्षिक प्रमाण पत्रों पर सहायक अध्यापक के पद पर नौकरी कर रहे थे। आरोपितों के कब्जे से पांच मोबाइल, 75 सौ रूपये नकदी,एक वीजा कार्ड,एक स्कूटी एक्टीवा , नौ टीईटी प्रमाण पत्र, 10 डीएलईडी अंक तालिका, एक पिस्टल .32 बोर, चार कारतूस 32 बोर , एक मैगजीन समेत अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं।
एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश ने बताया कि काफी दिनों से बेसिक शिक्षा विभाग में फर्जी कूट रचित शैक्षिक
प्रमाण पत्रों का प्रयोग कर सहायक अध्यापक के पद पर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत से नौकरी किये जाने की सूचनाएं मिल रही थी। इस संबंध में थाना सिद्धार्थनगर, जनपद सिद्धार्थनगर में मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसमें गोविन्द गुप्ता वांछित चल रहे थे। इसी दौरान मुखबिर से सूचना मिली कि गोविन्द गुप्ता व राकेश कुमार सिंह कहीं जाने की फिराक में है। इस सूचना पर एसटीएफ की टीम ने घेराबंदी करते हुए गोरखपुर बेतिया हाता हनुमान मंदिर गेट के पास से दोनों को गिरफ्तारकर लिया। गिरफ्तार दोनों आरोपितोें की निशानदेही पर बीएसए कार्यालय के सामने सिर्द्वाथनगर से बीएसए कार्यालय में नियुक्त धर्मेन्द्र कुमार वरिष्ठ सहायक को शनिवार सुबह करीब 9:45 बजे गिरफ्तार किया गया। पकड़े गये आरोपितों ने अपना नाम व पता गोविन्द लाल गुप्ता निवासी ग्राम कठगर थाना खजनी जनपद गोरखपुर, राकेश कुमार सिंह निवसी ग्राम कुईचवर थाना भाटपाररानी जनपद देवरिया व धर्मेद्र कुमार निवासी ग्राम गुलहरीया सिरमा थाना मंण्डेरवा जनपद बस्ती बताया है। एसटीएफ की टीम पकड़े गये आरोपितों से पूछताछ के बाद उनके अन्य साथियों की तलाश में जुटी है।
निलम्बित प्रधानाध्यापक गिरोह का सरगना
आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि राकेश कुमार सिंह गिरोह का सरगना है। जो सहायक अध्यापक के पद पर जनपद सिद्वार्थनगर में 2009 नियुक्त हुआ और वर्तमान में प्राथमिक विद्यालय खडकुईयां ननकार सिद्वार्थनगर में प्रधाना ध्यापक के पद पर कार्यरत था और इस समय निलम्बित है। राकेश सिंह बीएसए कार्यालय सिद्वार्थनगर में नियुक्त वरिष्ठ सहायक धर्मेन्द्र कुमार से मिलकर अभ्यर्थियों के फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति करवाता था। फर्जी अंकपत्र व दस्तावेज तैयार करने का कार्य अश्वनी श्रीवास्तव निवासी ग्राम बरडीहा तुलसी बाडा थाना खुखुन्दू जनपद देवरिया द्वारा किया जाता है। अश्वनी खुखुन्दू में साइबर कैफै की दुकान चलाता है। वहीं नौकरी के लिए अभ्यर्थियों को खोजने का कार्य जितेन्द्र कुमार सिंह व रूपेश श्रीवास्तव नामक व्यक्तियों द्वारा किया जाता था।
गिरोह में शिक्षा विभाग के अधिकारी शामिल
गिरोह का सरगना राकेश कुमार सिंह ने बताया कि बीते वर्षो में प्राइमरी अध्यापक के पद पर विनोद कुमार राय बीएसए, अजय सिंह बीएसए, दिवाकर सिंह कर्लक, रामकलावरूण कर्लक, दुर्गेश राव कर्लक, रामशरण कर्लक, धमेन्द्र कुमार वरिष्ठ सहायक, भूपेन्द्र मिश्रा उर्फ दीपू मिश्रा वाहन चालक के साथ मिलकर कई लोगों को फर्जी कागजातों के माध्यम से नौकरी दिला चुका हूं। इससे मिलने वाली राशि का सभी लोग आपस में वितरित कर लेते हैं।
अधिकारी को दुराचार के केस में फंसाया
पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि 26 अगस्त 2018 को बीएसए आफिस जनपद सिद्वार्थ नगर से फर्जी प्रपत्रों को गायब कराने के उद्देश से आफिस में चोरी की घटना को अंजाम दिलवाया था। जिसके सम्बन्ध में अभियोग भी पंजीकृत है। इसके अलावा राकेश सिंह पूछताछ पर बताया कि जब राकेश मणी वरिष्ठ सहायक बीएसए ने जब फर्जी तरीके से भर्ती हुए अध्यापकों के प्रपत्रों की जांच कराकर मुकदमा दर्ज कराया जाने लगा तो उन्हें दुराचार के मुकदमे में फंसा दिया गया था।
No comments:
Post a Comment