नई दिल्ली। आज से नया वित्त वर्ष शुरु हो गया है। इसके साथ ही आज 1 अप्रैल को लोग मूर्ख दिवस के रुप में भी देखते हैं। दुनिया की ज्यादातर जगहों पर 1 अप्रैल को मूर्ख दिवस के रूप में मनाया जाता है। वैसे तो अप्रैल फूल दिवस पश्चिम देशों में हर साल अप्रैल की पहली तारीख को सेलिब्रेट किया जाता है लेकिन इंडिया में कई दिनों पहले ही इसकी शुरूआत हो जाती है।
लेकिन हर साल 1 अप्रैल को ही क्यों मनाया जाता है फूल डे। इसके बारे में शायद आप जानते नहीं होंगे। तो हम आपको बताएंगे इसके पीछ की कहानी आखिर क्या है।
आपको बता दें, पहली बार अप्रैल फूल डे कब मनाया गया इसके बारे में कोई खास जानकारी नहीं है। लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि फ्रेंच कैलेंडर में होने वाला बदलाव भी अप्रैल फूल डे मनाने का कारण हो सकता है। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय की एनी से सगाई के कारण अप्रैल फूल डे मनाया जाता है। कुछ लोग इसे हिलारिया त्यौहार से भी जोड़ कर देखते हैं।
किंग रिचर्ड द्वितीय और एनी की सगाई
ज्यॉफ्री सॉसर्स ने पहली बार साल 1392 में इसका जिक्र अपनी किताब केंटरबरी टेल्स में किया था। कहा जाता है इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय और बोहेमिया की रानी एनी की सगाई की तारीख 32 मार्च, 1381 को होने की घोषणा की गई थी जिसे वहां के लोग सही मान बैठे और मूर्ख बन गए, तभी से एक अप्रैल को मूर्ख दिवस मनाया जाता है।
फ्रेंच कैलेंडर में बदलाव
दूसरी कहानी के अनुसार सन् 1582 में पोप ग्रेगोरी XIII ने 1 जनवरी से नए कैलेंडर की शुरुआत की। इसके साथ मार्च के आखिर में मनाए जाने वाले न्यू ईयर के सेलिब्रेशन की तारीख में बदलाव हो गया। कैलेंडर की यह तारीख पहले फ्रांस में अपनाई गई। हालांकि, यूरोप में रह रहे बहुत से लोगों ने जूलियन कैलेंडर को ही अपनाया था। इसके एवज में जिन्होंने नए कैलेंडर को अपनाया उन्होंने उन लोगों को फूल (मूर्ख) कहना शुरू कर दिया जो पुराने कैलेंडर के मुताबिक ही चल रहे थे।
हिलारिया फेस्टिवल
हिलारिया एक त्यौहार है जो प्राचीन काल में रोम में मनाया जाता था। इस त्यौहार में देवता अत्तिस की पूजा होती थी। हिलारिया त्यौहार में उत्सव का भी आयोजन किया जाता था। इस उत्सव के दौरान लोग अजीब-अजीब कपड़े पहनते थे। साथ ही मास्क लगाकर तरह-तरह के मजाक करते थे। उत्सव में होने वाली इस गतिविधि के कारण ही इतिहासकारों ने इसे अप्रैल फूल डे से जोड़ दिया।
एक और कहानी के मुताबिक, प्राचीन यूरोप में नया साल हर वर्ष 1 अप्रैल को मनाया जाता था। 1582 में पोप ग्रेगोरी 13 ने नया कैलेंडर अपनाने के निर्देश दिए जिसमें न्यू ईयर को 1 जनवरी से मनाने के लिए कहा गया। रोम के ज्यादातर लोगो ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया लेकिन बहुत से लोग तब भी 1 अप्रैल को ही नया साल के रूप में मानते थे। तब ऐसे लोगो को मूर्ख समझकर उनका मजाक उड़ाया।
ऐसा भी कहा जाता है कि पहले पूरे विश्व में भारतीय कैलेंडर की मान्यता थी। जिसके अनुसार नया साल चैत्र मास में शुरू होता था, जो अप्रैल महीने में होता था। बताया जाता है कि 1582 में पोप ग्रेगोरी ने नया कैलेंडर लागू करने के लिए कहा। जिसके अनुसार नया साल अप्रैल के बजाय जनवरी में शुरू होने लगा और ज्यादातर लोगों ने नए कैलेंडर को मान लिया।
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