लखनऊ। राजधानी लखनऊ के मड़ियाव थाना क्षेत्र में शिकायत के बावजूद पुलिस की लापरवाही की कीमत एक महिला को जान देकर चुकानी पड़ी। सूचना पाकर पहुंचे मायके पक्ष ने पुलिस और ससुरालीजनों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए चार घंटे तक हंगामा किया। पुलिस ने आक्रोशित लोगों को किसी तरह से शांत करवाकर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। पिता की तहरीर पर पति समेत पांच ससुरालीजनों के विरुद्ध दहेज हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर पति और सास को गिरफ्तार कर लिया है।
कानपुर नगर के सेन पूरब पारा निवासी जयकरन कुशवाहा के मुताबिक उन्होंने अपनी बेटी आरती कुशवाहा (28 वर्ष) की शादी 17 मई 2014 को मड़ियांव के सेक्टर-ए सीतापुर रोड कॉलोनी निवासी सुधीर मौर्या से की थी। दोनों से दो साल का बेटा आयुष भी है। पिता के मुताबिक शादी के तीन महीने बाद से ही ससुरालीजन दहेज में पांच लाख रुपये और देने की मांग करने लगे। मांग पूरी न होने पर आरती को प्रताड़ित किया जाने लगा। आरोप है कि 18 मार्च को सुधीर आरती को उसके मायके में छोड़ आया था और कहा था कि पांच लाख रुपये की मांग पूरी होने पर ही वह आरती को वापस ले जाएगा।
इंस्पेक्टर मड़ियांव संतोष कुमार सिंह ने बताया कि बताया कि पिता की तहरीर पर पति सुधीर, ससुर शुभी चंद्र मौर्य, सास किरन देवी, देवर प्रभाकर मौर्य और मौसेरा देवर राजेश के विरुद्ध दहेज हत्या की रिपोर्ट दर्ज करने के साथ ही पति और सास को गिरफ्तार कर लिया गया है।
पुलिस पहुँचने पर हुई घटना की जानकारी
आरती के भाई अविनाश ने बताया कि बुधवार दोपहर करीब 12 बजे उसने आरती से फोन पर बात करनी चाही, लेकिन उसके पति ने बात करवाने से इनकार कर दिया। अनहोनी की आशंका जताते हुए उसने चौकी इंचार्ज को कॉल की। इसके बाद मौके पर पहुंचे चौकी इंचार्ज जफर मेहंदी को आरती का कमरा अंदर से बंद मिला। काफी देर तक खटखटाने के बावजूद दरवाजा न खुलने पर दरवाजा तोड़ कर अंदर जाया गया। जहां आरती का शव पंखे के सहारे फांसी से लटकता मिला।
पुलिस करती कार्रवाई तो जिन्दा होती आरती
परिवारीजनों ने बताया कि मंगलवार को पिता जयकरन व मां शिवदेवी आरती को उसकी ससुराल छोड़ने आए थे। आरोप है कि ससुरालीजनों ने उन लोगों को बंधक बना लिया था। इसकी सूचना उन लोगों ने यूपी-100 पर दी थी। आरोप है कि मौके पर पहुंचे रामराम बैंक चौकी इंचार्ज ने ससुरालीजनों के विरुद्ध कार्रवाई करने के बजाय आरती व उसके मायके वालों को ही फटकार लगा कर वापस जाने का फरमान सुना दिया।
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