गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को बेहतर पोषण की जरुरत
आहार में विटामिन के साथ खनिज की मात्रा भी जरुरी
पटना । गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के अच्छे स्वास्थ्य के लिए उन्हें बेहतर पोषण की आवश्यकता होती है. इसके लिए उन्हें अतिरिक्त पोषक आहार के साथ विशेष देखभाल की भी जरूरत होती है. गर्भावस्था के दौरान पोषक आहार का सेवन उनके स्वास्थ्य के साथ गर्भ में पल रहे शिशु के बेहतर शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत आवश्यक होता है. धात्री महिलाओं को भी अपने शिशु को स्तनपान कराने के लिए ख़ुद के स्वास्थ्य को बनाये रखना जरुरी होता है.
अतिरिक्त पोषण का रखें ख्याल: भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् के अंतर्गत संचालित राष्ट्रीय पोषण संस्थान(हैदराबाद) द्वारा जारी की गयी आहार दिशा निर्देश के अनुसार गर्भावस्था के दौरान 10 से 12 किलोग्राम वजन बढ़ाना शिशु के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरुरी होता है. इसके लिए गर्भवती महिला को गर्भ के पहले तिमाही में प्रतिदिन 350 कैलोर एवं 0.5 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. दूसरे तिमाही में 6.9 ग्राम एवं तीसरे तिमाही में 22.7 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है. इसके अलावा आहार में विटामिन एवं सूक्ष्म पोषक तत्त्वों को भी शामिल करना जरुरी होता है. शरीर में खून की मात्रा बढ़ाने के लिए आयरन फोलिक एसिड एवं शिशु के मानसिक विकास को बेहतर करने के लिए आयोडीन की मात्रा आहार में लेना जरुरी है. शिशु के हड्डी एवं दाँतों के विकास के लिए गर्भवती एवं धात्री दोनों तरह की महिलाओं के लिए कैल्शियम एवं इससे युक्त आहार का सेवन करना चाहिए. धात्री महिलाओं के लिए विटामिन A के साथ विटामिन बी-12 एवं विटामिन सी बेहद जरुरी होता है ताकि शिशु के स्वास्थ्य में सुधार लायी जा सके.
आहार में विविधता है जरुरी: गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को अपने एवं शिशु के अच्छे स्वास्थ्य के लिए आहार में विविधता लाना जरूरी है. इससे सभी प्रकार के उपयोगी पोषक तत्वों को आहार के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है. महिलाएं चावल, रोटी एवं बाजरा के सेवन से 60 प्रतिशत तक का कैलोरी प्राप्त कर सकती हैं. प्रोटीन के लिए दूध, मछली, दाल, मीट एवं अंडे के अलावा अखरोट का सेवन किया जा सकता है. खनिज एवं विटामिन के लिए मौसमी फ़ल एवं हरी साग-सब्जी सर्वश्रेष्ठ स्रोत है. विटामिन सी के लिए आंवला, अमरुद एवं साइट्रस फ़ल का सेवन करना श्रेष्ट होता है. इसके अलावा गर्भवती एवं धात्री महिलाओं के लिए आयरन फोलिक एसिड की गोली का सेवन बहुत जरुरी है. उन्होंने बताया कि शारीरिक पोषण के साथ मानसिक पोषण भी उतना ही जरुरी है. गर्भावस्था के दौरान चिंता एवं अवसाद से गर्भ में पल रहे शिशु पर प्रतिकूल असर पड़ता है. प्राणायाम एवं ध्यान मानसिक पोषण का हिस्सा है जिससे अवसाद एवं चिंता को दूर किया जा सकता है.
गर्भवती एवं धात्री महिलाएं रखें ख्याल
गर्भावस्था में ज्यादा एवं कई बार भोजन का करें सेवन
साबुत अनाज एवं अंकुरित चने को आहार में करें शामिल
प्रोटीन की मात्रा के लिए अंडा, मीट, दूध एवं सोयाबीन का अधिक करें सेवन
अधिक मात्रा में सब्जी एवं फलों का करें सेवन
शराब एवं तम्बाकू के सेवन से बचें. बिना चिकित्सकीय परामर्श की ना लें दवा
आयरन एवं कैल्शियम युक्त आहार का सेवन गर्भ के 14 से 16 सप्ताह बाद शुरू कर शिशु के जन्म के दो वर्ष तक जारी रखेंगर्भावस्था
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