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Friday, 24 May 2019

कांग्रेस के गढ़ में स्मृति की सेंध

संजय गांधी से लेकर राहुल तक अमेठी ने किसी को निराश नहीं किया

2014 में मोदी लहर के बावजूद अमेठी की जनता राहुल के साथ खड़ी नजर आयी

 ईरानी ने अमेठी की नब्ज को अच्छी तरह समझा और पांच साल अमेठी में निवेश किये

सपा-बसपा से मिले वॉकओवर ने भी राहुल को फायदा नहीं पहुँचाया

अशोक मिश्र

तरुणमित्र। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को ही नहीं वरन गांधी परिवार पर एक तरह से निर्भर पूरी प्रदेश कांग्रेस टीम को 2019 लोकसभा चुनाव कई मायने में जरूरी व जमीनी सबक सिखा गया। कांग्रेस हमेशा ये मान कर चलती रही कि…अमेठी-रायबरेली कांग्रेस का अभेद्य दुर्ग बना रहेगा। अबतक ऐसा ही होता आया था। संजय गांधी से लेकर राहुल तक अमेठी ने किसी को निराश नहीं किया। यूपीए के 10 साल जिसमें राहुल अमेठी व अपने लिए कुछ कर सकते थे, लेकिन दुर्भाग्यवश वो ऐसा नहीं कर पाये। आज भी जरूरी तो छोड़िये, मूलभूत विकास के मामले में भी अमेठी उत्तर प्रदेश के अति पिछड़े जिलों में शुमार होता आया है। विकास के नाम पर अमेठी में कुछ बड़े उद्योग जरूर लगे हैं, मगर यहां की जनता को इन उद्योगों से विशेष लाभ नहीं मिल पाता। 2014 में मोदी लहर के बावजूद अमेठी की जनता राहुल गांधी के साथ खड़ी नजर आयी। अमेठी को लेकर राहुल की गफलत व उनका अति आत्म-विश्वास उनके हारने में काफी अहम स्थान रखता है। सपा-बसपा से मिले वॉकओवर ने भी राहुल को फायदा नहीं पहुँचाया। अमेठी के अलावा वायनाड से चुनाव लड़ना भी अमेठी की जनता को रास नहीं आया। दूसरी तरफ स्मृति ईरानी ने अमेठी की नब्ज को बहुत अच्छी तरह समझा और अपने पांच साल अमेठी में निवेश किये। अपने राजनीतिक कैरियर का दूसरा व सबसे अहम चुनाव हारने के बावजूद स्मृति अमेठी में बनी रहीं। उन्होंने गांव-गली जाकर क्षेत्रीयजनों से जनसंपर्क जारी रखा। अमेठी वासियों को भी लगने लगा कि काफी समय बाद अमेठी में कोई ऐसा नेता रात-दिन उनके बीच आ-जा रहा है और सीधे कांग्रेस के गढ़ को चुनौती दे रहा।
स्मृति बीते पांच सालों में 61 दिन अमेठी रहीं, जबकि राहुल 41 दिन ही आ-जा सकें। केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा नीत सरकार होने से स्मृति ने सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन अमेठी में बखूबी कराया जिससे सीधा व त्वरित लाभ वहां के आमजन को मिलने लगा। वहीं कांग्रेस अमेठी के जिला प्रवक्ता अनिल सिंह की मानें तो स्मृति ने अमेठी में धनबल का प्रयोग तो किया ही, साथ में यहां का स्थानीय प्रशासन भी उनके साथ खड़ा रहा। अनिल सिंह बताते हैं कि स्मृति अमेठी से ट्रिपल आईटी व मेगाफूड पार्क गुजरात व महाराष्ट्र ले गईं जिस पर अमेठी की जनता का अधिकार था। जबकि जवाब में दूसरी तरफ भाजपा अमेठी प्रवक्ता गोविंद सिंह चौहान बताते हैं कि राहुल गांधी ने 15 साल में अमेठी में कोई काम नहीं किया। स्मृति का हमेशा अमेठी में आना-जाना बना रहा। जब वो अमेठी नहीं आती थी तो यहाँ के कार्यकतार्ओं को अमेठी बुलाकर लगातार संपर्क में रहती थी। वहीं टीवी का जाना-पहचाना नाम होने के नाते भी स्मृति महिलाओं के बीच रोल मॉडल के तौर पर उभरीं और जिसका उनकी जीत में बड़ा योगदान रहा।

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