नई दिल्ली। सोशल मीडिया पर बीबीसी न्यूज़ के हवाले से एक कथित पोल/सर्वे सर्कुलेट किया जा रहा है जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को लोकसभा चुनाव-2019 में हारता हुआ बताया गया है.
इस कथित सर्वे के साथ यह दावा किया गया है कि बीबीसी और अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए के साझा सर्वेक्षण के अनुसार, लोकसभा चुनाव में एनडीए को ज़्यादा से ज़्यादा 177 सीटें ही मिल पाएंगी और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) को 200 से ज़्यादा सीटें मिल सकती हैं.
यह कथित सर्वे वॉट्सऐप पर ज़्यादा शेयर किया जा रहा है जिसके अनुसार एनडीए को उत्तर प्रदेश में 18-23, पश्चिम बंगाल में 3-5 और बिहार में 8-9 सीटें मिलेंगी.
तीन सौ से ज़्यादा लोगों ने बीबीसी की फ़ैक्ट चेक टीम को यह सर्वे फ़ॉरवर्ड किया है और इसकी सच्चाई जाननी चाही है.
बीबीसी का बयान
बीबीसी कई मौक़ों पर यह स्पष्ट करता आया है कि वह चुनावों को लेकर किसी तरह का सर्वे नहीं करता है और इस बार भी कोई सर्वे नहीं किया गया है. हर साल की तरह बीबीसी ने इस बार भी सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया था कि बीबीसी ने कोई सर्वे नहीं किया है.
हाल ही में बीबीसी हिंदी सेवा के संपादक मुकेश शर्मा ने फ़ेसबुक पर लिखा था, “अक्सर चुनाव के समय देखा जाता है कि लोग ये दुष्प्रचार करते हैं कि बीबीसी ने ‘चुनावी सर्वेक्षण’ किया है और फ़लां पार्टी जीत रही है. एक बार फिर ऐसा दुष्प्रचार हो रहा है. इसमें बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव-2019 को लेकर बीबीसी ने एक सर्वे किया है जबकि बीबीसी ने ऐसा कोई सर्वे नहीं किया.”
“बीबीसी ये स्पष्ट करना चाहता है कि न तो बीबीसी चुनावी सर्वेक्षण कराता है और न ही किसी एक पक्ष की ओर से किए गए ‘चुनावी सर्वे’ को प्रकाशित ही करता है.”
“इसके बावजूद कुछ लोग बीबीसी की विश्वसनीयता का फ़ायदा उठाने की फ़िराक़ में रहते हैं. ऐसे मामले पहले भी देखे गए हैं जब विधानसभा चुनावों के दौरान बीबीसी के नाम पर ऐसे चुनावी सर्वेक्षण चलाए गए मगर हक़ीक़त ये है कि बीबीसी ने ऐसा कोई सर्वेक्षण नहीं किया.”
यह पहली बार नहीं…
इससे पहले भी हरियाणा, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान ऐसा झूठा सर्वे वायरल हो चुका है.
अप्रैल 2019 में बीबीसी ने एक रिपोर्ट की थी जिसमें बताया गया था कि बीबीसी के नाम पर जो सर्वे शेयर किया जा रहा है और लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी की जीत होने की बात कही जा रही है, वो फ़र्ज़ी है.
ग़ौर करने वाली बात है कि जितनी बार भी ऐसा कोई सर्वे सोशल मीडिया पर सर्कुलेट किया जाता है तो उसे प्रामाणिकता देने के लिए बीबीसी न्यूज़ की वेबसाइट के होम पेज का लिंक भी लगाया जाता है. लेकिन उस लिंक पर आपको वह कथित सर्वे नहीं दिखेगा. अगर ऐसा कोई भी सर्वे आपको वॉट्सऐप या फ़ेसबुक पर दिखे तो उस फ़र्ज़ी सर्वे को शेयर न करें.
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