नई दिल्ली। चीन बॉर्डर पर लापता जिस एएन-32 विमान की खोज में भारतीय सेना ने जमीन और आसमान एक किया हुआ है. उसका इस्तेमाल भारतीय वायुसेना करीब तीन दशकों से कर रही है. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं है जब कोई एएन-32 विमान गायब हुआ हो. इससे पहले दो और एएन-32 विमान लापता हुए हैं, दोनों का आजतक मलबा भी नहीं मिला है. अब ये तीसरा विमान भी लापता हुआ है, जिसका तीसरे दिन भी पता नहीं चल सका है.
ये विमान पहली बार 25 मार्च 1986 को हिंद महासागर के ऊपर गायब हुआ था. तब ये विमान सोवियत यूनियन के रास्ते ओमान के रास्ते होते हुए भारत आ रहा था. इसमें कुल सात लोग सवार थे, लेकिन इस विमान का आजतक कुछ पता नहीं लग पाया.
जुलाई 2016 में भी भारतीय वायुसेना का एक AN-32 विमान 29 लोगों के साथ बंगाल की खाड़ी से लापता हो गया था. भारतीय वायुसेना ने इस विमान के लापता होने के बाद लगभग एक महीने लंबा सर्च ऑपरेशन चलाया था, लेकिन इसके बाद भी विमान के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया था.
अब एक बार फिर वायुसेना का एक और एएन-32 विमान चीन बॉर्डर पर लापता है. इसका सर्च ऑपरेशन जारी है, लेकिन अभी तक लापता विमान मिस्ट्री बना हुआ है. असम के जोरहाट से चीन की सीमा के पास अरुणाचल प्रदेश के मेंचुका के लिए उड़ान भरने वाला वायुसेना का एएन-32 विमान सोमवार दोपहर को लापता हो गया था.
लापता विमान का पता लगाने के लिए भारतीय वायुसेना ने अपने विमानों और हेलीकॉप्टरों के बेड़े को लगाया है. वायुसेना ने दो एमआई हेलीकॉप्टरों के साथ ही सी-130जे और सुखोई विमानों को भी लापता विमान की खोज में लगाया है. इसके अलावा भारतीय नौसेना ने एक नौसैनिक समुद्री जहाज को भी खोज में लगाया है.
वहीं इसरो ने भी अपने RISAT सेटेलाइट यानी रडार इमेजिंग सैटेलाइट को भी मदद के लिए अभियान में शामिल किया है. बता दें, रूस में निर्मित एएन-32 विमान एक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट है, जो कठिन परिस्थितियों में अपनी बेहतरीन उड़ान भरने की क्षमता के लिए जाना जाता है.
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