नई दिल्ली। ग्राउंड वाटर लेवल पर नीति आयोग की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 तक दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद समेत भारत के 21 शहरों में ग्राउंड वाटर खत्म हो जाएगा। इसका असर 100 मिलियन लोगों पर पड़ेगा। रिपोर्ट ने यह भी बताया कि वर्ष 2030 तक भारत के 40 प्रतिशत आबादी को पीने के पानी नसीब नहीं होगा। स्थिति भयावह है। यह देखते हुए कि वर्ष 2020 बहुत दूर नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चेन्नई में किसी अन्य मेट्रो शहरों की तुलना में बेहतर जल संसाधन और बारिश के बावजूद तीन नदियां, चार जल निकाय, पांच वेटलैंड और छह वन पूरी तरह से सूख गए हैं।
राष्ट्रीय जल अकादमी के प्रोफेसर मनोहर खुशालानी के पूर्व डायरेक्टर ने कहा, सरकार चेन्नई में डेसलिनेशन पर निर्भर है जो बहुत ही महंगा है हालांकि वे यह भी भूल जाते हैं कि पृथ्वी एक सीमित ग्रह है और महासागर सूख जाएंगे। हम अपने बच्चों और नाती-पोतों के लिए क्या छोड़ेंगे? हमारे पास बहुत पैसा हो सकता है, लेकिन हम अपने बच्चों से यह नहीं कह सकते पानी के बदले पैसा पीओ। समुद्र के पानी का इस्तेमाल और डेसलिनेशन समाधान नहीं है। लेकिन जल संचयन समाधान है। उन्होंने कहा कि यह सरकार और देश के लोगों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे पानी की बचत करें और भूजल स्तर बढ़ाने में योगदान दें।
खुशालानी वर्तमान में इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी दिल्ली में प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे हैं और उन्होंने इरिगेशन प्रैक्टिस और डिजाइन पर पांच खंडों में पुस्तकों पर काम किया है। उन्होंने एएनआई को बताया कि वर्षा जल का संचयन करना बहुत मुश्किल और महंगा नहीं है। कोई भी इसे आसानी से ग्रुप हाउसिंग सोसायटी या निजी तौर पर कर सकता है। हमें अपनी अगली पीढ़ी के बारे में सोचने के लिए बस अपने दिल को थोड़ा बड़ा और अधिक जिम्मेदार बनाना होगा।’ उन्होंने अपने घर के अंदर एक जल संचयन स्ट्रेक्चर तैयार करवाया। इसमें वे वर्ष 2003 से वर्षा जल का संचयन कर रहे हैं। जिससे उनके इलाके में भूजल का स्तर ऊपर उठाने में मदद मिल रही है।
उन्होंने कहा कि मैंने इस वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर को वर्ष 2003 में बनवाया था। जब 60 फीट गहरा ट्यूबवेल सूख गया था। मैंने फैसला किया कि अपनी छत पर जमा वर्षा जल को इसमें डालूंगा। वर्षा जल संचयन करने की दो स्थितियां हैं। नबंर एक, पहले इसमें वर्षा जल नहीं जाना चाहिए। दूसरा, फिल्टर्ड वाटर जमीन में जाना चाहिए। नहीं तो यह भूजल को दूषित कर देगा। मेरी छत पर इकट्ठा होने वाला बारिश का पानी एक पाइप से बहता है जो बोर से जुड़ा होता है। साठ फीट के बाद, मिट्टी अपने आप पानी को फिल्टर कर देती है। छत से या ऊंचाई से गिरने वाले पानी को हार्वेस्ट किया जाना चाहिए, लेकिन बारिश के दौरान सड़कों पर पानी नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे बहुत सारी गंदगी निकलती है, जिससे भूजल दूषित हो सकता है।
खुशालानी ने आगे सुझाव दिया कि जो इलाके सूखे का सामना कर रहे हैं। उस इलाके में गन्ने की खेती नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह बहुत अधिक मात्रा में भूजल को अवशोषित कर लेता है। उन्होंने अंत में कहा कि आज हम जागरूक होकर आगे आने वाले पानी की कमी के खतरे को टाल सकते हैं।
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