100 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी छोड़कर संत बनने की राह में आई अड़चनों के बाद शनिवार सुबह सुमित राठौर ने सूरत में दीक्षा ग्रहण कर ली। सुमित अब सुमति महाराज के नाम से जाने जाएंगे। वहीं पत्नी अनामिका की दीक्षा कानूनी अड़चनों के चलते रोक दी गई। अनामिका की दीक्षा पर संत समाज कानूनी अड़चनें खत्म होने के बाद फैसला लेगा। सुमित ने संत समाज और अपने 300 परिजनों की मौजूदगी में दीक्षा ग्रहण कर सांसारिक मोह को त्याग दिया।
बता दें कि कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मानवाधिकार आयोग से लेकर सीएम हेल्प लाइन तक पति-पत्नी को संत बनने से रोकने की मांग की थी। तीन साल की बेटी को छोड़कर दीक्षा ग्रहण करने के इनके फैसले का विरोध हो रहा था।
सुमित को आचार्यश्री रामलाल मसा ने जैन भागवती दीक्षा दिलवाई और उन्हें नया नाम सुमति महाराज दिया। सुमित की दीक्षा के लिए राजस्थान और मध्यप्रदेश से बड़ी संख्या में समाज जन सूरत पहुंचे थे। नीमच से सूरत पहुंचे आशीष कुमार ने बताया दीक्षा महोत्सव सुबह 7.30 बजे शुरू हुआ।
विरोध के चलते रोकी गई पत्नी की दीक्षा
सुबह सुमित और अनामिका दोनों ने दीक्षा ग्रहण करने की सारी तैयारियां कर ली थीं, लेकिन कानूनी अड़चनों के चलते अनामिका की दीक्षा रोक दी गई क्योंकि देशभर में तीन साल की बेटी इभ्या को छोड़कर इनके दीक्षा लेने को लेकर काफी विरोध हो रहा था। फेसबुक, वाट्सऐप पर भी विरोध जारी था।
अहमदाबाद के समाजसेवी चंद्रबदन ध्रुव ने सूरत कलेक्टर महेंद्र पटेल को दीक्षा रोकने का ज्ञापन दिया था। वहीं नीमच कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह, महिला एवं बाल विकास विभाग अधिकारी रेलम बघेल और महिला सशक्तिकरण विभाग को भी ज्ञापन सौंपा गया था।
सूरत कलेक्टर द्वारा कानूनी अड़चनों की बात करने पर अनामिका के दीक्षा को रोक दिया गया। इन अड़चनों के दूर होने के बाद संत समाज उनकी दीक्षा पर फैसला लेगा।
एक महीने पहले लेने वाले थे दीक्षा
22 अगस्त को पर्युषण के चौथे दिन सुमित ने आचार्य रामलाल की सभा में खड़े होकर कहा था कि मुझे संयम लेना है। आचार्य ने सबसे पहले पत्नी की आज्ञा को जरूरी बताया।
अनामिका ने कह दिया कि मैं भी दीक्षा लूंगी। अगर दोनों की दीक्षा हो तो आज्ञा है। ये सुनते ही दोनों के परिवार सूरत गए और उन्हें समझाया। मासूम बेटी का हवाला देते हुए इजाजत नहीं दी इसलिए एकाएक दीक्षा टल गई, लेकिन दोनों अडिग रहे।
नीमच के सामाजिक कार्यकर्ता ने उठाई आवाज
सामाजिक कार्यकर्ता कपिल शुक्ला ने इस मामले में मानवाधिकार आयोग, सीएम हेल्प लाइन, चाइल्ड केयर, कलेक्टर और एसपी को एक एप्लिकेशन दिया। शुक्ला ने मांग की थी कि जोड़े की दीक्षा रुकवाई जाए। कपिल का कहना था कि हमारा समाज के किसी काम को लेकर कोई विरोध नहीं है, लेकिन दंपति के संत बनने के बाद उस बच्ची का क्या होगा? शुक्ला के साथ ही देशभर से इस दीक्षा को रोकने की आवाज उठने लगी थी।
कौन है राठौर दंपति?
सुमित नीमच शहर के सेठ नाहरसिंह राठौर के बेटे हैं और अनामिका उनकी बहू। दोनों की शादी 4 साल पहले हुई थी। इनकी बेटी का नाम इभ्या है।
अनामिका चित्तौड़गढ़ में बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष कपासन निवासी अशोक चंडालिया की बेटी हैं।
कहा था- बेटी की फिक्र नहीं, इसी से आया आत्मकल्याण का बोध
बेटी आठ महीने की थी, तभी सुमित और अनामिका ने शीलव्रत यानी ब्रह्मचर्य का पालन शुरू कर दिया था। घर वालों के मुताबिक तभी से लगने लगा कि ये दीक्षा ले सकते हैं लेकिन इतनी जल्दी फैसला ले लेंगे, ये नहीं सोचा था। बच्ची के बारे में कहने पर उनके आध्यात्मिक तर्क सब पर भारी पड़ गए।
दोनों ने यहां तक कहा कि यह बच्ची बहुत पुण्यशाली है, इसीलिए इसके गर्भ में आते ही हम में आत्म कल्याण का बोध आ गया।
नीमच में 1.25 लाख वर्गफीट का है कॉमर्शियल कैम्पस
सुमित-अनामिका के राजसी वैभव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इनके दादा नाहरसिंह का कैंट में 1.25 लाख वर्गफीट में अंग्रेजों का बनाया हुआ बड़ा कॉमर्शियल कैम्पस है। नीमच सिटी में बंगला है। साथ ही सीमेंट कट्टों की फैक्टरी के साथ कृषि, फाइनेंस का भी कारोबार है।
-एजेंसी
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