हमारा देश एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है। भारत चीन को अपना प्रतिद्वंदी मानता है लेकिन सच्चाई यह है कि भारत अपने लिए भगवान की मूर्तियां तक नहीं बना पाता। देश का बाजार चाइनीज सामानों से भरा पड़ा है। चीन में बने सामान अपेक्षाकृत सस्ते हैं इसलिए इन्हें इंपोर्ट किया जाता है।
अपने एक लेख में अमेरिका के प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर एफ जे कॉन्ट्रैक्टर ने समझाया है कि भारत चीन से क्यों पीछे है? अपने लेख में प्रोफेसर ने चीन से पिछड़ने और मैन्युफैक्चरिंग में भारत की खराब हालत के लिए विभिन्न वजहों को विस्तार से बताया है।
स्केल
प्रोफेसर कॉन्ट्रैक्टर अपने लेख में बताते हैं कि स्केल ऑफ प्रॉडक्शन के मामले में चीन, भारत से काफी आगे है। चीन में लार्ज स्केल प्रॉडक्शन पर काम किया जाता है जबकि भारत में अपेक्षाकृत स्मॉल स्केल पर प्रॉडक्शन का काम किया जाता है। लार्ज स्केल प्रॉडक्शन से लागत में कमी आती है और समय भी बचता है।
प्रॉडक्टिविटी
कॉन्ट्रैक्टर एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताते हैं कि भारत का लेबर चीन के लेबर की तुलना में काफी कम प्रॉडक्टिव हैं जबकि चीन, थाइलैंड आदि के वर्कर भारतीयों की तुलना में 4-5 गुना ज्यादा प्रॉडक्टिव हैं। ज्यादा प्रॉडक्टिव होने की वजह से चीन में आउटपुट ज्यादा है। साथ ही ऑटोमैटिक मशीनों की कमी की वजह से भारत चीन से काफी पिछड़ा हुआ है।
करप्शन
भारत और चीन ट्रांसपैरंसी इंटरनेशनल के करप्शन पर्सेप्शन इंडेक्स 2016 में संयुक्त रूप से 79वें स्थान पर हैं। हालांकि, दोनों देशों में करप्शन का तरीका अगल-अलग है। भारत करप्शन निचले स्तर से शुरू होता है इसलिए यह बिजनेस को ज्यादा प्रभावित करता है। चीन में बडे़ स्तर पर करप्शन ज्यादा है, जिससे आम लोगों के जीवन को यह कम प्रभावित करता है। यही वजह है कि भारत का करप्शन यहां की अर्थव्यवस्था को ज्यादा प्रभावत करता है।
ट्रांसपॉर्टेशन
बिजनेस की सफलता में ट्रांसपॉर्टेशन सुविधाओं को बड़ा हाथ होता है। चीन में सर्विस ज्यादा बेहतर और सस्ती है। साथ ही चीन की सड़कें भारत के मुकाबले काफी बेहतर हैं, इससे ट्रांसपॉर्टेशन कॉस्ट काफी हद तक कम हो जाता है।
बिजली
भारत में बिजली व्यवस्था चीन के मुकाबले चरमराई हुई है। पावर कट ज्यादा होने की वजह से प्रॉड्क्शन में देरी होती है।
नौकरशाही
बिजनेस करने के लिए चीन में माहौल बेहतर है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है वहां की नौकरशाही काफी तेजी से काम करती है। अगर भारत की बात करें तो यहां नौकरशाही की चाल काफी सुस्त है। एक उदाहरण देकर प्रोफेसर कॉन्ट्रक्टर ने समझाया की किस करह भारत में किसी उद्योग के लिए लगाने जमीन अधिग्रहण कितना मुश्किल काम है जबकि चीन में नौकरशाही तेजी से काम करती है।
सब्सिडी
भारत और चीन दोनों अपने बिजनेस को सब्सिडी देते हैं। हालांकि इस मामले में भी चीन हमसे आगे है। चीन में कंपनियों को बेहतर करने के लिए काफी मौकों पर सब्सिडी दी जाती है, जबकि भारत इस मामले में काफी पीछे है।
-एजेंसी
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