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Wednesday, 29 November 2017

2 Line Shayari Collection #171

पत्तों सी हो गई है, रिश्तों की उम्र,
आज हरे.. कल पीले.. परसों सूखे।


होने लगे रुखसत मेरा दामन पकड़ लिया,
जाओ नही कहकर मुझे बाँहों मे भर लिया।
अक्सर वही रिश्ते लाजवाब होते हैं,
जो एहसानों से नहीं एहसासों से बने होते हैं।
तुमने तो गिरा डाली लम्हे में इमारत,
हम अरसे लगेंगे हमको मलबा हटाने में।
अपने जलने मैं नहीं करता किसी को,
शरीक.. रात होते हीं मैं शम्मा बुझा देता हूँ।
ये कौन है कि जिसका जिस्म हमसे ज़िन्दा है,
हमें तो चेहरा भी आईने में अपना नहीं लगता।
मेरे इब्तिदा-ए-इश्क़ की कहानी ना पूछ मुझसे,
हर सांस में हज़ारों बार तेरा नाम लिया हैं।
सारी उम्र तो कोई जीने की वजह नहीं पूछता,
लेकिन मौत वाले दिन सब पूछते है कि कैसे मरे।
सांसों की पायल पहन के ज़िंदगी निकली तो है,
क्या पता कब छनके.. ना जाने कब टूट जाये। ✌
जीत लेते हैं हम मुहोब्बत से गैरों का भी दिल,
पर ये हुनर जाने क्यों अपनों पर चलता ही नहीं।

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