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Wednesday 27 December 2017

शुल्क नियमन अधिनियम 2017 के खिलाफ 40 याचिकाएं खारिज कीं गुजरात उच्‍च न्‍यायालय ने

अहमदाबाद। निजी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों को राहत देते हुए गुजरात उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि स्कूलों की फीस के नियमन के लिए राज्य सरकार का कानून संवैधानिक रूप से वैध है।
मुख्य न्यायाधीश आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति वी एम पंचोली की खंड पीठ ने इस कानून को चुनौती देने वाली करीब 40 याचिकाएं खारिज करते हुए गुजरात स्व-वित्तपोषित विद्यालय (शुल्क का नियमन) अधिनियम, 2017 बरकरार रखा है।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि राज्य बोर्ड (सीबीएसई और आईसीएसई) के लिए कानून बनाने में राज्य विधानमंडल सक्षम है और उसके पास यह अधिकार है।
अदालत ने सीबीएसई और अल्पसंख्यक स्कूलों की इस दलील को खारिज कर दिया कि सरकार उनका नियमन नहीं कर सकती।
गुजरात स्व-वित्तपोषित विद्यालय (शुल्क का नियमन) अधिनियम इस साल अप्रैल से राज्यपाल ओ पी कोहली की सम्मति मिलने के बाद लागू हुआ था। उन्होंने 12 अप्रैल को इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी।
भाजपा सरकार ने इस विधेयक को बजट सत्र के दौरान ‘निजी विद्यालयों के अत्यधिक शुल्क’ पर नियंत्रण रखने के लक्ष्य से पेश किया था। विधेयक पेश करने के पीछे राज्य सरकार का तर्क था कि स्पष्ट कानून नहीं होने की वजह से स्कूल छात्रों से अत्यधिक शुल्क लेते हैं।
अधिनियम में प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक स्कूलों के लिए क्रमश: सालाना 15,000, 25,000 और 27,000 शुल्क तय है।
-एजेंसी

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