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Tuesday 20 February 2018

2 Line Shayari Collection #184

तु मुझसे मेरे गुनाहों का हिसाब ना मांग मेरे खुदा
मेरी तकदीर लिखने में, कलम तो तेरी ही चली थी।


यूँ ही नहीं होती हाँथ की लकीरों के आगे उँगलियाँ,
रब ने भी किस्मत से पहले मेहनत लिखी है।
आँखों की झील से दो कतरे क्या निकल पड़े..
मेरे सारे दुश्मन एकदम खुशी से उछल पडे।
वादा था मुकर गया.. नशा था उतर गया
दिल था भर गया.. इंसान था बदल गया।
नसीब ने पूछा..बोल क्या चाहिए
ख़ुशी क्या मांग ली खामोश हो गया।🌹
आप हमें चाहें न चाहें इसका गिला नहीं,
हम जिसे चाहें उस पर जान लुटा देते हैं।
सारी उम्र तो कोई जीने की वजह नहीं पूछता,
लेकिन मौत वाले दिन सब पूछते है कि कैसे मरे।
क्या खता हमसे हुई की खत का आना बंद है
आप हैं हमसे खफा या.. डाक-खाना बंद है।
भीगी नहीं थी मेरी आँखें कभी वक़्त के मार से..
देख तेरी थोड़ी सी बेरुखी ने इन्हें जी भर के रुला दिया।
दुआ करो, मैं कोई रास्ता निकाल सकूँ
तुम्हें भी देख सकूँ, खुद को भी सम्भाल सकूँ।

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