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Wednesday, 28 March 2018

पिहानी पुलिस का कारनामा साल भर पहले हुई हत्या के मामले में पीड़ित को खुद सुना रहे जजमेंट

 

हत्या के नाम जद आरोपी को थाने लाकर छोड़ा

आईपीसी की धारा 302 के तहत नामजद किसी अभियुक्त को बिना एवीडेन्स पुलिस गिरफ्तार कर जेल नहीं भेज सकती

क्यूँ और कैसे के सवालों में सिमट कर रह गई अनूप उर्फ जीतू तिवारी की अचानक मृत्यु की गुत्थी

पीड़ित परिवार जल्द ही कलेक्ट्रेट हरदोई में धरने पर बैठकर करेगा आमरण अनशन

 पिहानी हरदोई।28 मार्च।विकासखंड व कोतवाली पिहानी के अंतर्गत ग्राम सभा हर्रई पिपरी का रहने वाला अनूप उर्फ जीतू तिवारी उम्र 22 वर्ष पुत्र रामलड़ैते विगत वर्ष 12 मई को दिन के समय जब कस्बे के अंदर स्थित आर्यावर्त अवध ग्रामीण बैंक के पीछे वोडाफोन टावर पर चौकीदारी की ड्यूटी कर रहा था तो उसी दिन जीतू तिवारी अपने एक करीबी दोस्त सहीक निवासी मोहल्ला छिपीटोला निवासी पिहानी जनपद हरदोई को साथ लेकर समय करीब दोपहर 12 बजे अपने घर पर गया और अपनी माता व अन्य सगे सम्बन्धियों से मिलकर करीब 20 मिनट के बाद वहाँ से वापस चला आया।उसके बाद उसी दिन उसी दोस्त के द्वारा दोपहर बाद समय करीब 3 -4 बजे अन्य करीबी दोस्त को यह सूचना दी गई कि वोडाफोन टावर पर जीतू के करंट लग गया है।सूचना पाकर वहाँ पहुँचे लोगों ने देखा कि वह टावर परिसर के अंदर तारों के बीच अचेत अवस्था में पड़ा पाया है।जैसे ही यह सूचना उसके उक्त दोस्त के द्वारा जीतू के अन्य करीबी दोस्तों व परिजनों तक पहुंची तो वहाँ पर उसकी स्थिति को देखकर स्थानीय कोतवाली में सूचना दी गई।पुलिस घटनास्थल पर अचेत पड़े युवक को देखकर उसे निकटतम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पिहानी लेकर आई तो वहाँ पर चिकित्सक डाॅक्टर अमित मिश्रा ने उसे मृतक घोषित किया तथा अगले दिन पिहानी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के उक्त डाॅक्टर अमित मिश्रा की तैनाती पोस्टमार्टम पर लगी तो डाॅक्टर अमित मिश्रा ने पीएम रिपोर्ट में मृत्यु के कारणों को स्पष्ट तो नहीं कर पाया।मगर इतना जरुर बता दिया कि युवक की मृत्यु करंट लगकर नहीं हुई है।क्यूंकि चीर फाड़ में लाल रक्त कणिकाओं में कोई बदलाव नहीं पाया गया और न ही रक्त कणिकाएँ जली हुई थीं।इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं न कहीं पर गड़बड़ी जरुर है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि जीतू की मृत्यु के बाद से पुलिस का सौतेला व्यवहार उनके जख्मों को कुरेदता रहा और आखिर दस माह गुजर जाने के बाद भी पुलिस का विपरीत रवैया यह कहकर अभियुक्तों को बचा रहा है कि जीतू की हत्या हुई है या आत्महत्या।यह स्पष्ट न होने की वजह से नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी बिना किसी एवीडेन्स के पुलिस कैसे करे।इस संबंध में कोतवाली प्रभारी निरीक्षक श्याम बाबू शुक्ला का कहना है कि सबूत के बगैर पुलिस नहीं कर सकती है आईपीसी की धारा 302 के नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी।शायद इसी कारण विगत दिनांक 14 मार्च को इस प्रकरण में आईपीसी की धारा 302 के नामजद संदिग्ध मुख्य अभियुक्त दिवाकर पुत्र सत्यदेव, ग्राम व पोस्ट पीरो सरैंया अंतर्गत थाना उदयभाल जनपद सुल्तानपुर को पीड़ित पक्ष की सूचना पर पकड़ कर थाने पर लाकर बाद में छोड़ दिया गया।ऐसी स्थिति में पीड़ित परिवार की मानसिक वेदनाएँ उन्हें चैन से बैठने नहीं दे रही हैं और वे उच्च न्यायालय की शरण में जाकर हत्या का खुलासा कराने के लिए पुनःतहकीकात की अपील करेंगे।इसके अलावा उन्होेंने यह निर्णय भी लिया है कि जल्द ही वे कलेक्ट्रेट परिसर कचहरी जनपद हरदोई में जिलाधिकारी कार्यालय के सामने धरने पर बैठ कर आमरण अनशन देकर अपने पुत्र की हत्या के खुलासे में इच्छामृत्यु तक की सीमा पार कर देंगे।

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