आखिर कैसे चल रहीं हैं दिल्ली पिहानी प्राइवेट बसें?कौन है जो दे रहा इनको संरक्षण परमीशन?
परिवहन राजस्व को प्रतिमाह हो रहे लाखों रुपए के नुकसान का।जिम्मेदार कौन?अफसरान मौन?
पिहानी।हरदोई 03 अप्रैल।काफी अर्से से कस्बा पिहानी और और विकास खंड पिहानी के आस पास के ग्रामीण इलाकों से कई जगहों पर निर्धारित अड्डे घोषित कर प्रतिदिन पिहानी से दिल्ली और दिल्ली से पिहानी के यात्रीगणों व सामान को ढोने के लिए बहुत सी प्राइवेट बस वाहन संचालित असुरक्षित यात्रा व कम किराया के लिए प्रचलित व प्रख्यात हैं।आखिर कौन है जिसके संरक्षण में चल रही हैं ये नान परमिट डबल डेकर प्राइवेट बसें?इन बसों के संचालकों द्वारा बाकायदा निर्धारित अड्डों के पास टिकिट वितरण ऑफिस भी खुले हैं जहाँ पर सुबह से शाम तक दिल्ली जाने वाले यात्रियों को उनकी डग्गामार वाहन बसों की टिकिट बेंची जाती हैं।उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग व भारतीय पूर्वोत्तर रेलवे को प्रतिमाह कई लाख रुपए की राजस्व क्षति भी हो रही है।जरा सोचिए यदि गांव के खेतों व जंगलों में छोटे से टिन के पीपे में बन रही दारु की भनक पुलिस को लग सकती है तो इतनी बड़ी संख्या में प्राइवेट बसों का दिल्ली तक का प्रतिदिन अर्से से हो रहा संचालन समूचे उत्तर प्रदेश से लेकर पिहानी तक कोई अधिकारी क्यूं नहीं जानेगा? यह तो असम्भव है।यहाँ से संचालित डबल डेकर बसों को जानबूझकर पकड़ा नहीं जाता है।इससे साफ जाहिर होता है कि कहीं न कहीं कोई तो प्वाइंट लूज़ है जोकि स्थानीय कोतवाली से लेकर आलाकमान जिम्मेदार अफसरान तक आँख बंद किए बैठे रहते हैं और इन प्राइवेट बसों का अवैध संचालन लोकतंत्र की आँखों में धूल झोक कर सरकारी तंत्र को खोखला कर रहा है।
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