सुप्रीम कोर्ट की ओर से एससी-एसटी ऐक्ट के तहत तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाने के फैसले के बाद सोमवार को कई राज्यों में दलितों ने हिंसक प्रदर्शन किया। इसमें 10 लोगों की मौत भी हो गई। कोर्ट ने यह फैसला एक सरकारी ऑफिसर पर दर्ज एफआईआर को हटाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया था। इस अफसर पर पुणे के रहने वाले भास्कर गायकवाड़ ने एफआईआर दर्ज करवाई थी। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में गायकवाड़ ने बताया कि उनकी मराठी भाषा वाली एफआईआर का गलत अनुवाद कोर्ट में पेश किया गया, जिसके चलते कोर्ट को इस तरह का फैसला देना पड़ा है। वे कोर्ट के फैसले के खिलाफ 29 अप्रैल को रिव्यु पिटीशन दायर करेंगे। गायकवाड़ ने सोमवार को हुई हिंसा को गलत बताते हुए अपने संघर्ष की लंबी लड़ाई की पूरी कहानी शेयर की।
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Tuesday 3 April 2018
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एससी-एसटी एक्ट: जिस एफआईआर से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, उसका अनुवाद गलत था- याचिकाकर्ता का दावा
एससी-एसटी एक्ट: जिस एफआईआर से मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, उसका अनुवाद गलत था- याचिकाकर्ता का दावा
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