लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार अपनी उम्र से ज्यादा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की नोटिसें झेल रही है। महज 18 महीने में आयोग ने सरकार को 18 नोटिसों से नवाज दिया है। जहां मुख्यमंत्री समेत योगी सरकार के मंत्री समेत भाजपा नेता तक यूपी की कानून व्यवस्था सुरधने, अपराधी और अपराध कम होने का दावा करते है। वहीं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग प्रदेश सरकार को रेप, हत्या, फर्जी इनकाउन्टर, महिला उत्पीड़न जैसे जघन्य मामलों में लगभग 18 नोटिस जारी कर चुका है और प्रदेश सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए जवाब मांगा है।
योगी सरकार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा भेजी गई 18 नोटिसों की लिस्ट में गौतमबुद्धनगर के ग्रेटर नोएडा में एनएसजी सोसाइटी में जांच के नाम पर झूठे आरोप में अफ्रीकी नागरिकों के पुलिस उत्पीड़न के मामला भी शामिल हो गया है।
देखा जाए तो अगस्त 2017 के बाद शायद ही कोई माह गया हो, जब योगी सरकार को आयोग की ओर से कोई नोटिस नहीं मिली हो। करीब एक साल पहले बीती 14 अगस्त को गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में कई बच्चों की मौत के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सरकार को नोटिस भेजा, जिसके बाद से तो नोटिसों का सिलसिला शुरू हो गया। फिर 26 सितम्बर को बीएचयू में छेड़छाड़ के मामले में तो 05 अक्टूबर को ग्रेटर नोएडा में सुमित गुज्जर के इनकाउन्टर, 2 नवम्बर को एनटीपीसी के ऊंचाहार प्लान्ट में ब्वायलर फटने की घटना, 14 दिसंबर 2017 नोएडा के बाल सुधार गृह में अमानवीय उत्पीड़न मामले और 27 दिसम्बर को उन्नाव के एक अस्पताल में टार्च की रोशनी में आंखों के आपरेश मामले में आयोग ने नोटिस भेजा। यह सिलसिला वर्ष 2018 में भी जारी रहा और 3 जनवरी को बाराबंकी में वार्ड ब्वाय के सहारे प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र मामले में आयोग ने फिर नोटिस दिया। उसके बाद 5 फरवरी को नोएडा में व्यक्तिगत दुश्मनी में फर्जी इनकाउन्टर मामले में तो 7 मार्च उत्तर प्रदेश की जेलों में बंदियों के एचआईवी पॉजिटिव पाए जाने पर व 12 मार्च को झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कालेज में मरीज का पैर काटकर उसके सिर के नीचे रखने के मामले में और 10 अप्रैल को उन्नाव गैंगरेप मामले में पीड़िता की रिपोर्ट न लिखे जाने एवं उसके पिता की जेल में मौत होने की घटना मामले व बलरामपुर में पुलिस द्वारा नवविवाहित जोड़े पर बेवजह उत्पीड़न और बलात्कार करने के मामले समेत अन्य मामलों में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने योगी सरकार को नोटिस भेज चुका है।
इस पर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अशोक सिंह ने आईपीएन से कहा कि योगी सरकार को मिली इन नोटिसों ने सरकार की निरंकुशता एवं जनविरोधी नीतियों को उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि आयोग द्वारा भेजे गये इन नोटिसों का भले ही सरकार जवाब देकर आयोग के समक्ष अपनी सफाई पेश कर दे लेकिन प्रदेश की जनता के समक्ष भजपा किस मुंह से आगामी चुनाव में जायेगी यह एक यक्ष प्रश्न बन चुका है। उन्होंने कहा कि भाजपा के सुशासन के दावे के विपरीत जिस प्रकार फर्जी इनकाउन्टर, महिला उत्पीड़न, हत्या, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, डकैती, लूट की वारदातें हो रही हैं और देवरिया एवं हरदोई में महिला संरक्षण गृहों में बच्चियों के साथ रेप की घटना प्रकाश में आयी है। उससे जनता आने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा को सबक सिखायेगी।
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Friday 10 August 2018
18 माह की योगी सरकार को मिले मानवाधिकार आयोग से 18 नोटिस
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