नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने किसानों से खरीद की नई नीति पर अपनी मुहर लगा दी है। जिसमें तिलहन की खेती करने वाले किसानों को मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमएसपी) से कम कीमत मिलने पर सरकार इसकी भरपाई करेगी। वहीं, राज्य सरकारों के ज़िम्मे प्राइवेट सेक्टर के निवेशकों को किसानों की खरीद के लिए राज़ी करने का काम होगा। पीएम मोदी के नेतृत्व में हुई मत्रिमंडल की एक बैठक में इस फैसले पर मुहर लगाई गई।
इस साल के बजट में क्रेंद सरकार ने ये घोषणा की थी कि किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने के लिए सरकार सार्थक नीति लागू करेगी। इसके लिए सरकार ने इसके थिंक टैंक नीति आयोग से कहा था कि वो केंद्र और राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ बातचीत कर ऐसी नीति तैयार करे।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इसी से जुड़ा अन्नदाता मूल्य संरक्षण योजना नाम का प्रस्ताव तैयार किया था जिसे कैबिनट के सामने पेश किया गया। इस पर चर्चा के बाद कैबिनेट ने इसे मंज़ूरी दे दी। नई पॉलिसी के तहत खरीद कीमतों के एमएसपी से नीचे गिरने की स्थिति में राज्य सरकारों को कई स्कीमें उपलब्ध कराई जाएंगी जिनमें उनके पास परिस्थिति के हिसाब से सही स्कीम चुनने का विकल्प होगा।
इस नीति के तहत तिलहन की खेती करने वाले किसानों के लिए तय किया गया है कि उन्हें एमएसपी में होने वाले घाटे की भरपाई केंद्र सरकार करेगी। ऐसी ही एक योजना मध्य प्रदेश में मौजूद है। योजना का नाम ‘भावांतर भुगतान योजना’ है। इसी की तर्ज पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर तिलहन बेचने पर होने वाले घाटे की भरपाई अब सरकार करेगी। इसकी कीमत होलसेल मार्केट की कीमत से तय की जाएगी। वहीं, ये किसी भी राज्य में हुए कुल उत्पादन के 25 फीसदी पर लागू होगी।
वहीं, राज्यों को ये विकल्प दिया गया है कि वो इसी तरह की खेती के उत्पाद के लिए राज्य में निजी व्यापार करने वाले व्यपारियों को भी पायलट प्रोजेक्ट के तहत खरीद के लिए तैयार कर सकती है। तिलहन पर सरकार का ज़ोर इसलिए है क्योंकि सरकार खाने बनाने वाले तेल के आयात को कम करना चाहती है।
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