केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआंई) के भीतर की लड़ाई पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ दाखिल याचका पर सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकर को नोटिस भेजा। इधर आलोक वर्मा पर लगे आरोप की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिन का समय दिया है।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एके पटनायक की निगरानी में होगी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि जब तक सुप्रीम कोर्ट इस मामले में दोबारा सुनवाई नहीं कर लेता तब तक सीबीआई के अंतरिम डायरेक्टर एम नागेश्वर राव किसी भी तरह का नीतिगत फैसला नहीं लेंगे। उन्हें सिर्फ रूटीन कामकाज देखने की छूट दी गयी है।
आज की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सीवीसी के लिए आलोक वर्मा के खिलाफ जांंच करने की अवधि को 10 दिन से बढ़ाकर 15 दिन कर दिया। सीवीसी की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से तीन हफ्ते की मोहलत मांगी थी लेकिन कोर्ट ने केवल 15 दिनों का समय दिया। सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की तरफ से पेश हुए पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि उनकी याचिका भी सुनी जाए।
आज वर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि देश हित में मामले को ज्यादा लंबा नहीं खींचा जा सकता है। उन्होंने वरिष्ट अधिवक्ता तुषार मेहता की दलील पर कहा कि हम ऐसा नहीं कर सकते। आपको बता दें कि तुषार मेहता ने आलोक वर्मा पर लगाए गए अरोप की जांच के लिए तीन हफ्ते का वक्त मांग रहे थे लेकिन कोर्ट ने इनकार कर दिया और केवल 15 दिनों का वक्त दिया। हालांकि यह वक्त पहले 10 दिनों का दिया गया था।
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