राजेन्द्र के. गौतम
लखनऊ। दलित हितैषी योगी सरकार के राज में दलितों का तीर्थ स्थल माने जाने वाले अम्बेडकर महासभा पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अम्बेडकर महासभा में जहां भारत रत्न और संविधान निर्माता बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर की अस्थियां रखी हुई हैं वहीं तमाम मूर्धन्य सामाजिक और राजनीतिक हस्तियों की उपस्थिति का इतिहास खतरे में है। एक ओर महासभा को खाली कराने के नोटिस भेजे जाने के मुद्दे पर राज्य सम्पत्ति विभाग के आला अफसर गोल मोल जवाब दे रहे हैं तो दूसरी ओर सामाजिक और राजनीतिक आलोचक दलित मित्र का तमगा पाए मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
मालूम हो कि 1 अगस्त 2016 को सुप्रीम कोर्ट में दायर रिट याचिका सिविल संख्या 657/2004 लोक प्रहरी बनाम यूपी राज्य व अन्य में पारित आदेश के बाद राज्य सम्पत्ति विभाग ने 5 दिसम्बर 2016 को अधिकतर आवंटियों और ट्रस्टों को आवास खाली करने के नोटिस जारी किए थे। कोर्ट की सख्ती के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित आवास खाली करने पड़े थे। अब ट्रस्टों को आवंटित आवास खाली करवाने के लिए फिर से राज्य सम्पत्ति विभाग सक्रिय हुआ है। इस जद में अम्बेडकर महासभा भी आ गया है।
अम्बेडकर महासभा के सूत्रों का कहना है कि अभी आवास खाली करने का नोटिस नहीं आया है। लेकिन मामला संवेदनशील होने के कारण मौखिक तौर पर खाली करने को कहा गया है। अम्बेडकर महासभा को खाली करवाए जाने के संकेत से अम्बेडकर अनुयायियों और पदाधिकारियों में रोष है। महासभा की माली हालत खस्ता होने के कारण विगत डेढ़ साल से किराया नहीं जमा हो पाया है। मौजूदा समय अम्बेडकर महासभा पर लगभग 18 लाख रुपए का किराया बकाया है।
अम्बेडकर महासभा में भारत रत्न और संविधान निर्माता बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर की अस्थियां रखी हुई हैं। इन अस्थियों के दर्शन के लिए कई पूर्व राष्टपति, मुख्यमंत्री, राज्यपाल, गृहमंत्री, प्रधानमंत्री और अन्य क्षेत्रों की तमाम नामचीन हस्तियां आ चुकी हैं। इस स्थल से कई महत्वपूर्ण घोषणाएं हुई हैं। आरक्षण लागू करने की घोषणा हो या फिर अफगानिस्तान में बामियान में भगवान बुद्घ की प्रतिमा को तोडऩे के बाद सबसे ऊंची प्रतिमा कुशीनगर में लगाने की घोषणा हो। 14 अप्रैल 2018 को अम्बेडकर महासभा ने सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को दलित मित्र सम्मान से नवाजा था। जबकि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी बाबा साहब की अस्थियों का दर्शन करने के लिए आए थे। आश्वासन दिया था कि इस स्थल को राष्ट स्मारक में शुमार किया जाएगा।
अर्जुनदेव भारती का कहना है कि योगी और मोदी सरकार के लिए यूपी के दलितों को लुभाने के लिए यह स्वर्ण अवसर है कि बाबा साहब के अनुयायियों के तीर्थ स्थल अम्बेडकर महासभा पर बकाया किराया चुकाने के लिए पहल कराने और संरक्षित करने के लिए कैबिनेट से प्रस्ताव पास करवाएं। उन्होंने कहा कि मायावती की आलोचना करना आसान है, लेकिन उस पथ पर चलना कठिन है। यह बड़ा ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि करोड़ों अम्बेडकरवादियों के होने के बावजूद बाबा साहब की अस्थियों को संरक्षित करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।
अम्बेडकर महासभा के प्रदेश अध्यक्ष प्रोफेसर राम नरेश का कहना है कि दलित मित्र का सम्मान पाए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दलितों के राम का खिताब पाए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गुजारिश है कि दलितों के इस प्रतीक स्थल को राष्टीय स्मारक घोषित करें। राज्य सम्पत्ति अधिकारी योगेश कुमार शुक्ला ने इस संबंध में कहा कि अभी तक अम्बेडकर महासभा का आवास खाली करने का नोटिस नहीं भेजा गया है। किराए की गणना करके भुगतान के लिए नोटिस भेजा जाएगा। राज्य सम्पत्ति विभाग के प्रमुख सचिव एस.पी. गोयल ने कहा कि नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है। अम्बेडकर महासभा के राष्टï्रीय अध्यक्ष और अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष लालजी निर्मल ने कहा कि अभी तक महासभा को कोई नोटिस नहीं मिला है। नोटिस मिलने के बाद कोई निर्णय लिया जाएगा। इस समस्या के निस्तारण के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से समय मांगा गया है। मुख्यमंत्री जी, विनम्र और दलित हितैषी हैं। इस वजह से जो भी संकट है, वह निपट जाएगा। रही बात विरोधियों की तो उनका काम विरोध करना है। मैं अपना दायित्व ईमानदारी और निष्ठा से निभा रहा हूं।
राजनीतिक मंच का अखाड़ा बनी महासभा
राजनीति से दूर रहने वाली अम्बेडकर महासभा कुछ वर्षों से राजनीति का अखाड़ा बन गया है। इससे भारी संख्या में अम्बेडकर अनुयायी आहत हैं। अम्बेडकर अनुयायी अम्बेडकर महासभा के राष्टï्रीय अध्यक्ष लालजी निर्मल की राजनीतिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं। सैकड़ों अनुयायियों और कुछ पदाधिकारियों का कहना है कि अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा पूरी करने के लिए निर्मल जी हर दल में दस्तक दे चुके हैं। भाजपा ने निर्मल जी की इच्छा का आदर करते हुए उन्हें अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम का अध्यक्ष बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा दिया है। इसके बावजूद अम्बेडकर महासभा आर्थिक संकट से गुजर रहा है। महासभा के पास न तो कार्मिकों को देने के लिए फंड है और न ही किराया चुकाने के लिए पैसा। ऐसी स्थिति में दलितों का तीर्थ स्थल पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
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