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Sunday 9 December 2018

विपक्षी दलों की बैठक आज, ममता-मुलायम समेत जुटेंगे सारे विपक्षी नेता

नई दिल्ली। विपक्षी दलों ने 2019 लोकसभा चुनावों को लेकर भाजपा की घेराबंदी शुरू कर दी है। महागठबंधन की कोशिशों में जुटे आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने सोमवार को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है। इसमें सपा नेता मुलायम सिंह यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के भी शामिल होने की उम्मीद है। उधर, भाजपा ने शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले विपक्षी दलों की बैठक को रद्द कर दिया।

चुनाव की वजह से टली थी बैठक
मुलायम सिंह ने रविवार को कहा कि वे दिल्ली में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होंगे। ममता बनर्जी भी इसमें शामिल होने के लिए रविवार को दिल्ली पहुंचीं। यह बैठक पहले 22 नवंबर को रखी गई थी, लेकिन 5 राज्यों में चुनाव के चलते इसे टाल दिया गया था।

नायडू 2019 लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ सभी क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने पर जोर दे रहे हैं। हाल ही में उन्होेंने कहा था कि जो पार्टियां देश को बचाना चाहती हैं, उन्हें साथ काम करना होगा। विपक्षी दलों की इस बैठक में शीतकालीन सत्र को लेकर भी चर्चा होगी। पार्टियां किसान, बेरोजगारी, राफेल और महिला आरक्षण बिल को लेकर सरकार को घेरने पर रणनीति बनाएंगी।

गैर-भाजपा फ्रंट पर चर्चा
सूत्रों के मुताबिक- बैठक का मुख्य एजेंडा गैर-भाजपा फ्रंट रहेगा। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा के महासचिव एस सुधाकर रेड्डी के भी बैठक में हिस्सा लेने की उम्मीद है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) अध्यक्ष एम के स्टालिन, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव और लोकतांत्रिक जनता दल (एलजेडी) के नेता शरद यादव भी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं।

राहुल-सोनिया भी हो सकते हैं शामिल
स्टालिन रविवार को दिल्ली पहुंचे। उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात कर उन्हें जन्मदिन की भी बधाई दी। राहुल और सोनिया गांधी भी बैठक में शामिल हो सकते हैं। चंद्रबाबू गठबंधन में कांग्रेस के शामिल रहने की बात कह चुके हैं। उन्होंने देश बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी बताया था। सूत्रों का कहना है कि चुनाव के पहले और चुनाव के बाद भी गठबंधन हो सकता है। इसका फैसला राज्य के हितों को देखते हुए लिया जाएगा। एनसीपी के नेता डीपी त्रिपाठी ने कहा कि बढ़ती कीमतें, जीएसटी का बुरा प्रभाव, बेरोजगारी और संविधान पर खतरा भी चर्चा में शामिल रहेगा।

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