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Monday 10 December 2018

माल्या को मुंबई की ऑर्थर जेल में कसाब की बैरक में रखा जाएगा!

नई दिल्ली। ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट का फैसला आने के बाद विजय माल्या के प्रत्यर्पण पर अंतिम फैसला गृह मंत्री साजिद जाविद को लेना है। पूर्व विदेश सचिव शशांक ने कहा कि निचली अदालत की तरफ से रास्ता साफ हो गया है। लेकिन अभी माल्या के पास एक और अपील का मौका है। अगर वहां से भी कोई रुकावट नहीं होती है तब फैसला ब्रिटेन सरकार को प्रशासनिक स्तर पर लेना होगा। वहां के गृह मंत्री के पास मामला भेजा जाएगा। उन्हें ही प्रत्यर्पण पर आखिरी फैसला लेने का हक है। यानी दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों पर माल्या का प्रत्यर्पण निर्भर करेगा।

शशांक ने कहा कि निचली अदालत में मिली सफलता से यह तो साफ हो गया है कि हमारे कानूनी पक्ष को वहां की अदालत ने स्वीकार कर लिया। यह भारतीय एजेंसियों की सफलता है। लेकिन अभी दो स्तरों पर पेंच बाकी है। इसलिए माल्या को तुरंत यहां लाना संभव नहीं होगा। क्योंकि वे अपने अपीलीय अदालत में 14 दिन के भीतर अपील करते हैं तो ऊपरी अदालत की प्रक्रिया का इंतजार करना पड़ सकता है। दूसरे कानूनी अड़चन समाप्त होने पर हमें प्रशासनिक स्तर पर ब्रिटेन को राजी करना होगा कि वह माल्या को हमें सौंपने के लिए राजी हों।

ऑर्थर जेल में माल्या को खतरा नहीं

ब्रिटेन की एक अदालत ने कहा है कि यह मानने के लिए कोई आधार नहीं है कि मुंबई के ऑर्थर रोड जेल में शराब कारोबारी विजय माल्या को किसी प्रकार का खतरा है जिसे हाल में फिर से सजाया-संवारा गया है। माल्या के इस दावे को कि मुंबई की जेल सुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं है, ब्रिटेन की अदालत ने सोमवार को खारिज कर दिया। माल्या के लिए जेल में एक उच्च सुरक्षा वाला एक प्रकोष्ठ तैयार कर रखा गया है। जज ने कहा कि माल्या को उसके मधुमेह और आंखों की दिक्कतों के लिए व्यक्तिगत चिकित्सा देखभाल तक उसकी पहुंच होगी। उन्होंने फैसला सुनाते हुए यह भी कहा कि माल्या खिलाफ झूठे मामले चलाए जाने के भी कोई संकेत नहीं मिले हैं ।

कसाब वाली बैरक में रखा जाएगा

मुंबई स्थित ऑर्थर रोड जेल के एक अधिकारी ने बताया कि प्रत्यर्पण के बाद माल्या को उच्च सुरक्षा वाले बैरक संख्या 12 में रखा जाएगा। बैरक परिसर में एक दो मंजिली इमारत है। इसी बैरक में 26/11 के हमले के आतंकवादी मोहम्मद अजमल कसाब को रखा गया था। वहीं गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने इससे पहले कहा था कि मुंबई का आर्थर रोड कारागार देश में सबसे बेहतर है।

अब कूटनीतिक दबाव बनाना होगा

जानकारों का कहना है कि प्रत्यर्पण के लिए ब्रिटेन की ओर से प्रशासनिक स्तर पर भी कुछ आशंकाओं को भी दूर करने का प्रयास हो सकता है। मसलन ब्रिटेन की अदालत में चल रहे जिन मामलों के आधार पर उन्हें भारत लाने पर सहमति बनेगी उनमें नए मामलों को न जोड़ा जाए। कूटनीतिक मामलों के जानकारों का कहना है कि भारत के लिए संतोष की बात है कि उन्होंने सफलतापूर्वक कानूनी स्तर पर पहली बाधा पार कर ली है। अब भारत को कूटनीतिक स्तर पर भी दबाव बनाए रखना होगा। भारत ने आर्थिक अपराधियों को लेकर दुनिया के देशों के साथ साझेदारी की जो मुहिम शुरु की है उसका फायदा इस मामले में भी मिल सकता है।

एक साल बाद आया फैसला

प्रत्यर्पण का यह मामला पिछले साल चार दिसंबर को मजिस्ट्रेट अदालत में शुरू हुआ था। इस मामले की सुनवाई के लिए शुरू में सात दिन रखे गए थे, लेकिन फैसला करीब एक साल बाद आया। पिछले साल अप्रैल में प्रत्यर्पण वॉरंट पर गिरफ्तारी के बाद से माल्या जमानत पर है।

कोई चोरी नहीं की है : माल्या

इससे पहले माल्या ने दलील दी थी कि उन्होंने बैंकों के साथ कोई हेराफेरी या चोरी नहीं की है। उन्होंने दिन में कहा था था भारतीय बैंकों को मूल राशि लौटाने की पेशकश फर्जी नहीं है। माल्या ने अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि कर्ज निपटाने की मेरी पेशकश कर्नाटक हाईकोर्ट के समक्ष की गई है। प्रत्यर्पण मुकदमे से उसका संबंध नहीं है। कोई फर्जी पेशकश कर के न्यायालय की अवमानना नहीं कर सकता।

संपत्तियों से सभी का भुगतान कर सकते हैं

माल्या ने कहा कि ईडी ने संपत्तियां कुर्क की हैं। वे फर्जी संपत्तियां नहीं हैं। माल्या ने कहा कि उनकी संपत्तियों का मूल्य इतना है जिससे वह सभी का भुगतान कर सकते हैं। कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष की गई पेशकश के बारे में माल्या ने कहा कि यदि निपटान की अनुमति दी जाती है तो सबसे पहले किंगफिशर के कर्मचारियों का भुगतान किया जाना चाहिए।

तड़क भड़क वाले व्यक्तित्व के सामने बैंक मूर्ख बन गए : जज

ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की जज एम्मा अर्बुथनोट ने कहा कि माल्या ने यह कर्ज फर्जी दस्तावेजों के जरिए हासिल किए और दूसरे कामों के लिए इसका इस्तेमाल किया। साथ कोर्ट ने कहा कि इस अरबपति के तड़क-भड़क वाले व्यक्तित्व के सामने बैंक मूर्ख बन गए। कोर्ट ने पाया कि माल्या कर्ज में गोलमाल के आरोप से नहीं बच सकते क्योंकि बैंक से कर्ज किसी और काम के लिए लिया गया था और इस्तेमाल किया गया किसी और जगह। जज ने कहा कि माल्या के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है जिसका उन्हें भारत की अदालतों में जवाब देना है। जज ने कहा कि इस बात का कोई संकेत नहीं है कि माल्यl के खिलाफ मिथ्या प्रकरण बनाया गया है।

फैसले पर गहनता से अध्ययन करेंगे

फैसला आने के बाद माल्या ने संवाददाताओं से कहा कि मुझे इस बात की निराशा है कि जज को यह लगा कि मैंने आईडीबीआई बैंक को गलत ब्योरा दिया और उन्हें किंगफिशर एयरलाइंस को कर्ज देने को कहा। जज को यदि ऐसा लगता है तो उन्हें इसका पूरा अधिकार है। मेरे अपने अधिकार हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में आगे कदम उठाने से पहले उनकी टीम फैसले का गहनता से अध्ययन करेगी।

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