*दबाव में एक अधिशाषी अधिकारी प्रदीप नारायण दीक्षित ने सुनाई अपनी मजबूरी की गाथा*
पिहानी/हरदोई।कस्बे के अंदर हो रहे आवासीय प्लाटों पर निर्माण कार्य और उन पर नागरिकों द्वारा दी जा रही आपत्ति की तहरीर पर किसकी सरपरस्ती में और क्यूँ रोके जा रहे हैं अधिशाषी अधिकारी की कलम से जारी म्युनिसिपाॅलिटीज एक्ट-1916 के उल्लंघन पर कार्यवाई के नोटिस।ज्ञात हुआ कि नगर पालिका पिहानी के मोहल्ला कोटकला, खुरमुली,लोहानी,मुरीदखानी जैसे कई मोहल्लों में हाल ही में नागरिकों द्वारा कराए जा रहे निर्माण कार्यों पर कई अन्य नागरिकों द्वारा आपत्ति जताकर कार्य पालिका व कोतवाली पुलिस को शिकायती पत्र दिए गए।जिस पर पालिका प्रशासक ईओ पी एन दीक्षित ने म्युनिसिपाॅलिटीज एक्ट 1916 की धारा-185 के तहत कार्रवाई की।मगर पालिका अध्यक्ष ने उन नोटिसों की तामीला पर पाबंदी लगा दी।पालिका ईओ ने नगर में हो रहे बिना मंजूरी निर्माण कार्यों को जाँच-पड़ताल में अवैध निर्माण की श्रेणी में पाया या जांचकर्ता पालिकाकर्मी ने अधिनियम के अनुसार निर्माण हेतु जमा होने वाले कर की धनराशि की चोरी बताई।तो पालिका प्रशासक ने निर्माण कार्यों को विधि विरुद्ध व नियम विरुद्ध करार देकर आपत्ति जताने वालों को राहत बाँटने व निर्माण कार्य पर तुले नागरिकों से कर वसूली करने के लिए कार्रवाई की नोटिस जारी कीं।संज्ञान में आया है कि जब-जब पालिका
ईओ की कलम से कार्रवाई के नोटिस जारी हुए।तब-तब उनकी कलम और कार्रवाई पर रोक लगाने के लिए पालिकाध्यक्ष द्वारा म्युनिसिपाॅलिटी एक्ट की धारा-185 या 186 के नोटिस ठंडे बस्तों में पहुंचवा दिए जाते हैं।जिससे नगर में कई बार कई जगहों पर अवैध कब्जेदारी की नियत से निर्माण कार्य पर विवादस्पद स्थिति उत्पन्न हो जाती है।इस विषय पर जब इस पटल कार्य की जिम्मेदारी संभाल रहे कार्य पालिका लिपिक गोपाल कृष्ण से वकतब्य लिया गया तो उन्होंने कहा कि नोटिस को पालिका अध्यक्ष की जानिब से रोका गया है हम क्या कर सकते हैं।जब इस तथ्य की पुष्टि के लिए स्थानीय संवाददाता ने पालिका प्रशासक ईओ पी एन दीक्षित के दफ्तर से गैर मौजूदगी में से उनके दूरभाष पर बातचीत की तो उन्होंने भी अपना दुखड़ा कुछ इस तरह बयान किया कि हमारे साथ आजकल बहोत प्रॉब्लम आ गई हैं कहीं भी किसी काम के लिए नोटिस भेजो तो वो जो हमारी नोटिस है टलित हो जाती हैं और कोई कार्रवाई सुलझ नहीं पाती है।निष्कर्ष ये निकल रहा है कि विवादित स्थलों पर एक पक्षीय कार्रवाई से परेशान हो रहे हैं नागरिक और हैरान हैं पालिका प्रशासक।ये सत्य है मगर कड़वा है कि पालिका प्रशासक की कलम और कार्रवाई पर अंकुश लगाकर कुचले जा रहे हैं उनके अधिकार अर्थात् म्युनिसिपाॅलिटीज अधिनियम-1916 के तहत एक अधिशाषी अधिकारी के पाॅवर पर बनाया जा रहा है निर्माण कर न वसूलने का दबाव।
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