कहते हैं कि पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ इनके पालन से जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्राप्ति निश्चित रूप से होती है।
– घर का हर व्यक्ति सूर्योदय के पहले उठे और उगते सूर्य के दर्शन करे।
इसी समय जोर से गायत्री मंत्र का उच्चारण करे तो घर के वास्तु दोष भी नष्ट हो जाते है।
– सूर्य दर्शन के बाद सूर्य को जल, पुष्प और रोली-अक्षत का अर्घ्य दे, सूर्य के साथ त्राटक करे।
– बिस्तर से उठते समय दोनों पैर जमीन पर एक साथ रखे, उसी समय इष्ट का स्मरण करे और हाथों को मुख पर फेरे।
– स्नान और पूजन सुबह 7 से 8 बजे के बीच अवश्य कर ले।
– घर में तुलसी और आक का पौधा लगाए और उनकी नियमित सेवा करे।
– पक्षियों को दाना डाले।
– शनिवार और अमावस्या को सारे घर की सफाई करें, कबाड़ बाहर निकले और जूते-चप्पलों का दान कर दे।
– स्नान करने के बाद स्नानघर को कभी गंदा न छोड़े।
– जितना हो सके भांजी और भतीजी को कोई न कोई उपहार देते रहे।
किसी बुधवार को बुआ को भी चाट या चटपटी वस्तु खिलाएँ।
– घर में भोजन बनते समय गाय और कुत्ते का हिस्सा अवश्य निकाले।
– बुधवार को किसी को भी उधार न दे, वापस नहीं आएगा।
– राहू काल में कोई कार्य शुरू न करें।
– श्री सूक्त का पाठ करने से धन आता रहेगा।
– वर्ष में एक या दो बार घर में किसी पाठ या मंत्रोक्त पूजन को ब्राह्मण द्वारा जरूर कराए।
– स्फटिक का श्रीयंत्र, पारद शिवलिंग, श्वेतार्क गणपति और दक्षिणावर्त शंख को घर या दुकान आदि में स्थापित कर पूजन करने से घर का भण्डार भरा-पूरा रहता है।
– घर के हर सदस्य को अपने-अपने इष्ट का जाप व पूजन अवश्य करना चाहिए।
– जहाँ तक हो सके अन्न, वस्त्र, तेल, कंबल, अध्ययन सामग्री आदि का दान करें।
दान करने के बाद उसका उल्लेख न करें।
– अपने राशि या लग्न स्वामी ग्रह के रंग की कोई वस्तु अपने साथ हमेशा रखे।
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