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Wednesday 15 May 2019

जिस दल पर भरोसा किया उसने ठगने का कार्य किया -ध्रुवचंद

 

गोरखपुर 15 मई (  आज की विषम परिस्थितियों में राजनीतिज्ञों ने जाति व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए बाध्य कर दिया है सभी दलों के राजनीतिज्ञों द्वारा राजनीतिक निर्णय जाति आधार एवं क्षेत्रीय आधार पर समीकरणों को ध्यान में रखकर निर्णय लिए जाने लगे हैं भारतीय लोकतंत्र पर जातिवादी व्यवस्था भारी पड़ गई है जो समाज व संगठन परोक्ष या अपरोक्ष रूप से संगठित है उसे शासन और सत्ता में उसी अनुपात में भागीदारी मिली है जायसवाल समाज एवं संपूर्ण वैश्य समाज जन धन में सक्षम होने पर भी जिस दल पर भरोसा अबतक किया उसने ठगने का कार्य किया है। राजनीतिक एकजुट होने पर भी राजनीतिक पहचान बनाने मे सक्षम नहीं हो पा रहा है समाज का अपना कोई दल नहीं है। सत्ता में भागीदारी पाने के लिए राजनीतिज्ञों ने राजनीतिक दल बनाने पर विवश कर दिया है समय की मांग को देखते हुए इस दिशा में कार्य नहीं किया गया तो आने वाली युवा पीढ़ी भविष्य मे समाज के नेताओं को माफ नहीं करेगा 2019 के चुनाव में तमाम हमारे युवा सहयोगियों का ब्यान आता रहा कि जायसवाल के नेतायों को दल बना कर अपने हक की लड़ाई अब खुद लड़ी जाए किसी दल का झोला ढोने,मिटिंगों मे कुर्सी मेज की व्यवस्था करने की बजाय खुद अपनी पहचान बनाने की जरूरत है। जयसवाल समाज एवं संपूर्ण वैश्य समाज अपने लिए ना सही आने वाली युवा पीढ़ी जो राजनीति में आने के लिए उतावली है उसके लिए ही सही राजनीतिक कदम उठाने के लिए तैयार रहने की आवश्यकता है नहीं तो आने वाली युवा पीढ़ी यह जरुर पूछेगी कि जब सभी जातियों के लोगों ने अपने समाज के उत्थान के लिए समाज के हित के लिए राजनीतिक दल बना करके अपने लड़ाई लड़ रहे थे तो हमारा समाज क्यों पीछे रह गया इसलिए समय की मांग को देखते हुए जो एक खास दल के साथ निष्ठा बना कर के बैठे हुए हैं उसे उखाड़ करके फेंकना ही पड़ेगा अपने लिए ना सही अपने आने वाली युवा पीढ़ी के लिए यह कुर्बानी देनी ही पड़ेगी नहीं तो समय हम लोगों को माफ नहीं करेगा जायसवाल समाज के अधिक्तर लोगों का एक मत है कि दल बना करके अपने हक की लड़ाई खुद लड़ी जाए उसी दिशा में अब राष्ट्रीय स्तर पर दल बनाने की पहल की जा रही है निकट भविष्य में इस संबंध में चुनाव बाद लोगों से विचार-विमर्श करने के बाद इसको मूर्त रूप दिया जाएगा उक्त बिचार तरुण मित्र के सम्बादाता से अखिल भारतीय जायसवाल (सर्ववर्गीय)महासभा के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष ध्रुवचंद जायसवाल ने कही। जायसवाल ने इस बात को स्वीकार कि कार्य कठिन है।उन्होंने कहा कि टीम कुर्बानी देने के लिये तैयार है किसी न किसी को तो कुर्बानी देनी ही पड़ेगी आगे बढने की आवश्यकता है कारवाँ बनता जायेगा। जो किसी भी दल के पेसेवर नेता है अपने स्वार्थ मे कोई सुझाव देगें दल बनाने से इसबार रोकने का कोई बहाना या कारण बतायेगें तो उन्हें समाज के लोग अलग -थलग कर देगें।

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