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Thursday 9 May 2019

महाराणा प्रताप की जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया याद, जीवन पर डाला प्रकाश

हरदोई,क्षत्रिय महासभा द्वारा आज दिनांक 9 मार्च 2019 को धर्मशाला रोड पर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय पर महाराणा प्रताप की जयंती मनाई गई। उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें याद किया गया।क्षत्रिय महासभा के महामंत्री राजेश सिंह ने महाराणा प्रताप के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इतिहास के अनुसार अकबर ने साल 1576 में महाराणा प्रताप से लड़ाई करने का फैसला लिया था लेकिन यह लड़ाई उतनी ही आसान नहीं थी, क्योंकि मुगल शासक के पास 200000 सैनिक थे, जबकि राजपूत सेना के पास मात्र 22 हज़ार सैनिक थे लेकिन फिर भी वीरता के पर्याय महाराणा प्रताप ने मुगलों से लोहा ले कर उनके जहन में डर भर दिया। महाराणा प्रताप को बचपन में कीका के नाम से पुकारा जाता था। वह अपने माता पिता की पहली संतान थे।राज महल में पले बढ़े महाराणा बचपन से ही बहादुर और अपने लक्ष्य को पाने का हौसला रखते थे,जिस उम्र में बच्चे खिलौनों से खेलते हैं उस उम्र में वे हथियारों से खेलते थे। इतिहास कहता है कि महाराणा प्रताप को सबसे अधिक मान सम्मान की फिक्र थी उन्हें धन दौलत और गहनों की कोई परवाह नहीं थी। वह कभी धन दौलत गवाने के पीछे नहीं रहे लेकिन अपने मान सम्मान को उन्होंने कभी झुकने नहीं दिया।महाराणा प्रताप ने 1582 में दिवेर में एक भयानक युद्ध में भाग लिया ।इस युद्ध में उन्होंने मुगलों को धूल चटाई थी। महाराणा ने सन 1585 में चावंड को अपनी राजधानी घोषित कर दिया। उन्होंने चित्तौड़गढ़ मांडलपुर को छोड़कर पूरे मेवाड़ पर राज किया था।राजस्थान के कुंभलगढ़ में महाराणा उदय सिंह एवं माता रानी जयवंत कंवरी के घर जन्मे महाराणा ने कई सालों तक मुगल सम्राट अकबर के साथ संघर्ष किया। उन्होंने मुगलों को कई बार युद्ध में हराया था।महाराणा प्रताप और अकबर दोनों ही तलवारे टकराने से पहले सुलह करना चाहते थे।इसके लिए हमेशा अकबर की ओर से पहल की गई जबकि महाराणा प्रताप हमेशा ऐसी दोस्ती के खिलाफ रहे। इसके अलावा अध्यक्ष राजपाल सिंह, राजचौहान, दीप सिंह, सरोज चौहान, ओपी सिंह, ने भी उनके जीवन पर प्रकाश डाला। इस मौके पर आचार्य शिव शरण सिंह चौहान, डॉ एसके सिंह, वनवारी सिंह एवं योगेंद्र सिंह मौजूद रहे।

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