कानपुर। सेना के अधिकारियों द्वारा राजस्व अभिलेखों की अनदेखी करके आराजी संख्या (2014) जूही कलां की 29.50 बीघा जमीन पर बीते दिनों प्रयाग उच्च न्यायालय द्वारा यथा स्थिति को बरकरार रखने के दिए गये आदेश का सेना ने उल्लंघन करते हुए आराजी पर अपने पिलर गाड़ दिए है। यह बात विराटनगर संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता के दौरान कही।
अशोक नगर स्थित कानपुर जर्नलिस्ट क्लब मैं रविवार को प्रेस वार्ता मैं विराटनगर संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रणवीर सिंह (भूतपूर्व सैनिक) ने बताया कि,आराजी संख्या (2014) जूही कलां के भूभाग मैं सेना की 49.50 बीघा जमीन राजस्व अभिलेखों मैं दर्ज है। जबकि सेना की जमीन के अतिरिक्त जो जमीन शेष बची है वो राजस्व अभिलेखों मैं अन्य काश्तकारों के नाम जमींदारी के पूर्व से दर्ज है। संघर्ष मोर्चा के सुरेन्द्र सिंह का कहना है कि, इस आराजी की शेष 29.50 बीघा जमीन के मामले मैं पीड़ित पक्ष द्वारा बीते अप्रैल माह मैं रिट दाखिल की गई थी। रिट का संज्ञान लेते हुए प्रयाग उच्च न्यायालय द्वारा यथा स्थिति को बरकरार रखने का आदेश दिया था,लेकिन सेना ने आदेश का उल्लंघन करते हुए आराजी पर अपने पिलर गाड़ दिए। जबकि इस मामले मैं उच्च न्यायालय ने बीती 9 मई को सेना को न्यायालय मैं अपना पक्ष रखने को कहा था,लेकिन सेना ने अपना पक्ष नहीं रखा। संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष रणवीर सिंह का कहना है कि उलटे सेना ने बैक डेट मैं जमीन पर बगैर हस्ताक्षर किये हुए नोटिस चस्पा कर दी।
संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष ने बताया कि, पक्ष रखने के लिए लोगों को 27 मई को सेना मुख्यालय कागजातों समेत बुलाया गया है। यदि कोई अपना पक्ष रखने के लिए नहीं आता है तो बेदखली और क्षतिपूर्ति की कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों के मुताबिक़,सेना की ओर से इन पर की गई पीपी एक्ट की कार्रवाई की जानकारी कोर्ट को नहीं दी गई है। 15 अप्रैल को याचिका दाखिल की गई और 30 अप्रैल को कोर्ट ने आर्डर दिया था। सुरेन्द्र सिंह का कहना है कि,अधिकारियों द्वारा यह बताया गया कि,राजस्व विभाग के रिकार्ड से सेना का कोई लेना.देना नहीं होता है। उनके पास ग्राउंड लेवल रिकार्ड होता है।
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Sunday, 26 May 2019
सेना ने राजस्व अभिलेखों की अनदेखी कर आराजी पर गाड़े पिलर
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