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Friday, 21 June 2019

स्वस्थ सात्विक उत्कर्ष का आधार

डॉ दिलीप अग्निहोत्री

योग भारत की अमूल्य धरोहर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से आज विश्व में इसकी गूंज है। पांच वर्ष पहले उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा में योग दिवस मनाने का प्रस्ताव किया था, इस पर सबसे कम समय में सर्वाधिक देशों के समर्थन का रिकार्ड कायम हो गया। संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा ने जिस ऐतिहासिक समर्थन से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को स्वीकार किया था, वह राष्ट्रीय गौरव का विषय था। इक्कीस जून अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भारत की महान धरोहर के प्रति विश्व की सहमति है। विश्व में योग लगातार लोकप्रिय हो रहा है। लोगों को इसमें अपना हित नजर आ रहा है। इसकी भवभूमि में व्यक्ति को विराट जगत सत्ता से जोड़ने का विचार समाहित है। लेकिन जो शारीरिक लाभ के विचार से किया जाने वाला योग भी कल्याणकारी होता है। इससे शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार का स्वास्थ्य लाभ होता है। अनेक बीमारियों से निदान मिलता है। सकारात्मक चिंतन को बढ़ावा मिलता है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं योगी है। उन्होंने योग दिवस पर राजभवन में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित किया। यह बताया कि व्यक्ति का जीवन भोग के लिए नहीं बल्कि योग के लिए हुआ है।

योग रोग से मुक्ति प्रदान करता है। साथ ही चरा चर जगत के अनेक सुखद रहस्यों का साक्षात्कार भी कराता है। जिनका सामान्य रूप से अनुभव नहीं किया जा सकता। यह क्षमता केवल योग से प्राप्त होती है। ईश्वर की सभी कृतियों में मनुष्य को ही विवेक शक्ति मिली है। इसे योग के माध्यम से जागृत किया जा सकता है।

राज्यपाल राम नाईक कहते है कि बचपन से सूर्य नमस्कार करने के कारण ही वह पच्चासी वर्ष के अवस्था मे बिना थके कार्य कर लेते है। सूर्य ऊर्जा प्रदान करते है। योग से व्यक्ति को ऊर्जा मिलती है। उन्होंने कहा कि राजभवन की गरिमा योग दिवस के कारण बढ़ रही है। क्योंकि यहां योग दिवस पर भव्य कार्यक्रम होता है।

राम नाईक ने राज्यपाल बनने के बाद आमजन के लिए राजभवन के द्वार खुले रखने की घोषणा की थी। योग दिवस पर इस घोषणा को चरितार्थ होते देखा जा सकता है। योग शरीर के साथ मन को भी स्वस्थ रखता है। ऐसा कोई शरीर विज्ञान आज तक नहीं बन सका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसको विश्व से परिचित कराया। योग ने सूक्ष्म से सूक्ष्म विदुओं पर विचार किया। योग दिवस पर इसका विराट रूप योग दिवस पर विश्व में दिखाई देता है। यह भारत की गौरवशाली उपलब्धि है। उत्तर प्रदेश में तो मुख्यमंत्री स्वयं योगी है। इसलिए इस प्रदेश में योग की भव्यता भी अधिक दिखाई देती है।

योग के प्रवर्तन पतंजलि के अनुसार योगश्चित्तवृतिनिरोध। अर्थात चित्त की वृतियों का निरोध ही योग कहलाता है।वेदांत के अनुसार आत्मा का परमात्मा से पूर्ण रूप से मिलन होना ही योग कहलाता है।

उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी के विश्व योग दिवस मनाने के आह्वान पर तत्कालीन भारतीय राजदूत अशोक मुखर्जी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में रखा था, जिसे दुनिया के एक सौ पच्छत्तर देशों ने सह प्रस्तावित किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभ में किसी भी प्रस्ताव को इतनी बड़ी संख्या में मिला समर्थन अभूतपूर्व था। भारत के प्रताव पर एक रिकॉर्ड बन गया।इससे पहले किसी भी प्रस्ताव को इतने देशों का समर्थन नहीं मिला था। पहली बार किसी देश का प्रस्ताव मात्र तीन महीने में संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा से पारित हो गया था।

इक्कीस जून को ग्रीष्म संक्रांति होती है। इस दिन सूर्य धरती की दृष्टि से उत्तर से दक्षिण की ओर चलना शुरू करता है. यानी सूर्य जो अब तक उत्तरी गोलार्ध के सामने था, अब दक्षिणी गोलार्ध की तरफ बढ़ना शुरू हो जाता है। योग के नजरिए से यह समय संक्रमण काल होता है, यानी रूपांतरण के लिए बेहतर समय होता।

राज्यपाल राम नाईक योग दिवस की महिमा समझते है। तीन वर्ष पहले ही ऐसा आयोजन करने वाला यह देश का पहला राजभवन था। इक्कीस जून के मुख्य समारोह के दौरान राजभवन में उत्सव का माहौल था। राज्यपाल राम नाईक ने बताया कि राजभवन में योग दिवस आयोजित कराने का आग्रह उन्होंने मुख्यमंत्री से किया था। राम नाईक ने अपना अनुभव भी साझा किया। बताया कि विद्यार्थी जीवन मे कक्षा एक से लेकर कक्षा बारह तक वह जिस विद्यालय में पढ़ते थे , वहां प्रतिदिन बीस सूर्य नमस्कार कराए जाते थे। यह उनके जीवन का अंग बन गया। योग से ही चरैवेति चरैवेति की प्रेरणा मिलती है।

मुख्यमंत्री आदित्यनाथ स्वयं प्रतिष्ठित योगी है। वह नाथ संप्रदाय का प्रतिनिधित्त्व करते है, इस महान विरासत को आगे बढ़ा रहे है। उन्होंने भी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को राष्ट्रीय गौरव के अनुरूप उत्सव का रूप दिया। मुख्यमंत्री ने आयुष मंत्रालय में योग आयुष का गठन किया था। इसी मंत्रालय ने योग दिवस को व्यापक रूप में मनाने की।व्यवस्था की थी। योग को मजहबी रूप में देखना गलत है। पैंतालीस इस्लामी मुल्कों के साथ आज पूरे विश्व में योग किया जा रहा है। अमेरिका व योरोप में करोड़ों लोगों की जीवन शैली में योग शामिल शामिल हो गया है।

नरेंद्र मोदी ने विश्व कूटनीति में सांस्कृतिक तत्व को बेजोड़ अंदाज में शामिल किया है।अंतरराष्ट्रीय योग दिवस भारत के लिए गर्व का विषय है। इसे राजनीति की दृष्टि से देखना गलत है। अनेक विपक्षी पार्टियां राष्ट्रीय गौरव के इस अवसर से अपने को अलग रखती है। फिर भी यह सन्तोष का विषय है कि आम लोगों में इस गौरवशाली दिन को लेकर उत्साह रहता है। पूरे विश्व में योग दिवस का माहौल दिखाई देता है। बच्चों से लेकर बड़ों तक में इसे लेकर उत्साह रहता है। यह एक दिन का उत्सव मात्र नहीं है, बल्कि इसे प्रतिदिन दिनचर्या में शामिल करने की प्रेरणा भी मिलती है। भारत ने केवल विश्व कल्याण का उद्घोष ही नहीं किया था , बल्कि उसके अमल की राह भी दिखाई थी। इसी ने भारत को विश्व गुरु के रूप में प्रतिष्ठित किया था। योग में भी मानव कल्याण का विचार समाहित है। यह शरीर के साथ ही मन को संतुलित करता है।

नकारात्मक चिंतन शरीर के साथ ही समाज को भी उद्देलित करते है, अराजकता फैलाते है। नरेंद्र मोदी ने योग को मानवता के लिए धरोहर बताया था। उनके विचारों पर विश्व समुदाय ने ध्यान दिया था। मोदीं का कहना था कि योग भारत की प्राचीन परंपरा का एक अमूल्य उपहार है। यह दिमाग और शरीर की एकता का प्रतीक है। मनुष्य और प्रकृति के बीच सामंजस्य है। विचार, संयम और पूर्ति प्रदान करने वाला है तथा स्वास्थ्य और भलाई के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को भी प्रदान करने वाला है। यह व्यायाम के बारे में नहीं है, लेकिन अपने भीतर एकता की भावना, दुनिया और प्रकृति की खोज के विषय में है। हमारी बदलती जीवन शैली में यह चेतना बनकर, हमें जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकता है।
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