आपको बता दे की साहित्य अकादमी से सम्मानित लोकप्रिय कवि चंद्रकांत देवताले का पूर्व में 14 अगस्त सोमवार की रात को निधन हो गया था. उनका अंतिम संस्कार लोधी रोड शमशान घाट पर किया गया. जानकारी उनकी पुत्री अनुप्रिया देवताले ने दी. चंद्रकांत देवताले ने 81 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली. वे बीमार थे और उनका उपचार किया जा रहा था मगर उपचार के दौरान ही उन्होंने अपने चाहने वालों को अलविदा कहा. इस जीवन में उन्होंने हिंदी कविता के चित्त को बदल देने वाली कविताएं लिखीं.
ऐसे कवि का होना भारतीय साहित्य में महत्वपूर्ण बात थी. 7 नवंबर, 1936 को मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में जन्मे चंद्रकांत देवताले अपनी कविता की सघन बुनावट और उसमें निहित राजनीतिक संवेदना के लिए जाने जाते रहेंगे. उन्होंने अपनी कविता की कच्ची सामग्री मनुष्य के सुख दुःख, विशेषकर औरतों और बच्चों की दुनिया से इकट्ठी की थे.
चूंकि बैतूल में हिंदी और मराठी बोली जाती है, इसलिए उनके काव्य संसार में यह दोनों भाषाएं जीवित थीं. मध्य भारत का वह हिस्सा जो महाराष्ट्र से छूता है, उसमें मराठी भाषा पहली या दूसरी भाषा के रूप में बोली जाती रही है. बैतूल भी ऐसी ही जगह है. अपने प्रिय कवि मुक्तिबोध की तरह देवताले मराठी से आंगन की भाषा की तरह बरताव करते थे. यह उनकी कविताओं में बार-बार देखा जा सकता है.
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