नई दिल्ली। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) जल्द ही एनएसईएल के पूर्व सीईओ अंजनी सिन्हा और एमसीएक्स के पूर्व प्रमुख जोसफ मैसी के खातों पर लगी रोक हटायेगा। इन खातों पर कथित भेदिया कारोबार मामले में रोक लगाई गयी थी।
नियामक ने इस निर्णय के बारे में प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) को सूचित किया है। न्यायाधिकरण में इन दोनों पूर्व प्रमुखों द्वारा सेबी के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान नियामक ने यह जानकारी दी। उसने कहा कि बैंक खातों पर लगी रोक को तुरंत हटाया जायेगा।
सिन्हा और मैसी के खिलाफ एमसीएक्स और एफटीआईएल (अब 63 मून्स टैक्नालॉजीज) के शेयरों में कथित भेदिया कारोबार को लेकर पूंजी बाजार नियामक ने कारवाई शुरू की थी। एनएसईएल में 31 जुलाई 2013 से कारोबार निलंबित है। नेशनल स्पॉटएक्सचेंज लिमिटेड नामक इस जिंस बाजार में एक बड़ा भुगतान संकट सामने आने के बाद कामकाज पिछले चार साल से बंद है। एनएसईएल घोटाले में कई नियामकों और प्रवर्तन एजेंसियों की जांच चल रही है।
नियामक के आदेश पर जब दोनों व्यक्तियों ने अपनी आपत्तियां न्यायाधिकरण को सौंपी तो एक अलग आदेश में न्यायाधिकरण ने सेबी से मामले में तीन माह के भीतर अंतिम आदेश पारित करने को कहा। न्यायाधिकरण ने एक अलग आदेश में एमसीएक्स के पूर्व सीईओ श्रीकांत जावलगेकर और उनकी पत्नी आशा के म्यूचुअल फंड यूनिट उन्हें लौटाने को कहा है। इसके बाद उन्हें अपने खाते में 80 लाख रुपए का सावधि जमा बनानी होगी और इस राशि को सेबी के पक्ष में देना होगा।
इन चारों व्यक्तियों ने सेबी के आदेश के खिलाफ सैट का दरवाजा खटखटाया था। सेबी ने इन पर एमसीएक्स और एफटीआईएल के शेयरों में भेंदिया कारोबार के जरिये 1.4 करोड़ रुपए का नुकसान होने से बचा लिया। सेबी का मानना है कि पहली नजर में इन लोगों के पास अप्रकाशित संवेदनशील जानकारी होने की वजह से सिन्हा 8.52 लाख रुपए, मैसी 58.81 लाख रुपए, श्रीकांत जावलगेकर और उनकी पत्नी 79.5 लाख रुपए का नुकसान बचाने में कामयाब रहे। -(एजेंसी)
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