नई दिल्ली। सैकड़ों साल पुरानी थियेटर की विधा कूडीयट्टम के संरक्षण के लिए हाल ही में एक अभियान शुरू किया गया है जिसके तहत नई पीढ़ी के कलाकारों को इस कलारूप के प्रशिक्षण के लिए फंड जुटाया जाएगा। इस अभियान का लक्ष्य सरपरस्ती और रूचि की कमी के चलते इस कलारूप को खत्म होने से बचाना है।
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केरल के कूडीयट्टम नेपथ्य केंद्र भारतीय कला एवं संस्कृति की ऑनलाइन इनसायक्लोपीडिया साहापीडिया से समर्थित है। इसका लक्ष्य क्राउडफंडिंग मंच बिटगिविंग के माध्यम से 20 लाख रूपए का फंड जुटाना है। कूडीयट्टम के संबंध में माना जाता है कि वह विश्वभर में प्राचीन संस्कृत थियेटर का एकमात्र जीवित रूप है।
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इसका स्रोत संस्कृत के प्राचीन नाटककारों के नाटक हैं। इसके बारे में कहा जाता है कि केरल राज्य में एक हजार साल से ज्यादा समय से यह निरंतर चला आ रहा है। यूनेस्को ने इस कला रूप को मानवता की मौखिक और अप्रत्यक्ष धरोहर के तौर पर घोषित किया है।
नेपथ्य की संस्थापक और गुरू मार्गी मधु का कहना है कि इसकी खराब आर्थिक सहायता और युवा कलाकारों में सीखने के अभाव के पीछे लोगों में इसके प्रति कम जागरकता है। उन्होंने कहा कि क्राउडफंडिंग अभियान जागरकता अभियान के तौर पर भी काम करेगा।
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