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Saturday 30 September 2017

2 Line Shayari, Kab aa rahe ho

कब आ रहे हो मुलाकात के लिये,
हमने चाँद रोका है एक रात के लिये।


ताश के पत्ते खुशनसीब हैं यारों,
बिखरने के बाद कोई उठाने वाला तो है।
जरूरी नही कि हम सबको पसंद आए,
बस, जिंदगी ऐसे जीओ कि रब को पसंद आए।
मुझपे हंसने की ज़माने को सजा दी जाये,
मैं बहुत खुश हूँ ये अफवाह उड़ा दी जाये।
ख़ुद भी शामिल नहीं जिंदगी के सफ़र में,
पर लोग कहते हैं कि पूरा क़ाफ़िला हूँ मैं।
आईना फैला रहा है ख़ुद, फ़रेब का ये मर्ज़,
हर किसी से कह रहा है, आप सा कोई नही।
कुछ लोग मेरी दुनिया में खुशबू की तरह है,
रोज़ महसूस तो होते पर दिखाई नही देते।
सिर्फ़ दो ही गवाह थे मेरी वफ़ा के, एक वक्त,
और एक वो, एक गुज़र गया और एक मुकर गया।
रुबरु मिलने का मौका नही मिलता,
इसीलिए, शब्दो से नमन कर लेता हूँ अपनो को।
जब ख्वाबों के रास्ते जरूरतों की और मुड जाते है,
तब हमें असल जिंदगी के मायने समझ में आते है।

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