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Friday 29 September 2017

2 Line Shayari, Mann khwahishon me atka raha

मन ख्वाईशो मे अटका रहा,
और जिंदगी हमे जी कर चली गई।


मुझे महँगे तोहफ़े बहुत पसंद है,
अगली बार यूं करना, ज़रा सा वक़्त ले आना।
मत तोला कर इबादत को अपने हिसाब से,
रहमतें उसकी देखकर, अक्सर तराज़ू टूट जाते हैं।
वहम था कि सारा बाग अपना है तूफां के बाद,
पता चला सूखे पत्तों पर भी हक हवाओं का था।
हमारी आँखों पर भरोसा कीजिये,
जनाब, गवाही तो अदालतें माँगा करती है।
फ़लसफी को बहस के अंदर ख़ुदा मिलता नहीं,
डोर को सुलझा रहा है और सिरा मिलता नहीं।
मेरे बिना रह ही जायेगी कोई न कोई कमी,
तुम जिंदगी को जितनी मरजी सँवार लेना।
दोस्तो से बडी कोई दौलत नही,
इस मामले में मुझ से बड़ा कोई अमीर नहीं।
माना कि दो किनारो का कही संगम नही होता,
मगर साथ चलना भी तो कम नहीं होता।
जिनके उपर जिम्मेदारीयों का बोझ होता है,
उनको रुठने और टूटने का हक़ नही होता।

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