BHU (बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय) में शनिवार देर रात हुई पुलिस कार्यवाही के बाद विश्वविद्यालय के गेट पर चल रहा छात्र-छात्राओं का धरना प्रशासन ने फ़िलहाल ख़त्म करा दिया है लेकिन अब इस मामले में राजनीतिक गर्मी बढ़ने लगी है.
रविवार शाम प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर को उनके तमाम साथियों के साथ विश्वविद्यालय जाने से जब रोक दिया गया तो वो वहीं धरने पर बैठ गए.
कांग्रेस नेता राजबब्बर वाराणसी में मौजूद
राजबब्बर अपने साथियों के साथ उस सर्वदलीय मार्च में हिस्सा लेने जा रहे थे, जिसे कुछ राजनीतिक दलों ने आयोजित किया था.
राजबब्बर ने कहा, “प्रदेश सरकार पूरी तरह तानाशाही रवैया अख्तियार किए हुए है और लोकतंत्र का गला घोंटने पर उतारू है. BHU में छात्र-छात्राओं पर प्रदेश सरकार के इशारे पर जिस तरह से बर्बर लाठीचार्ज और फायरिंग की गई है वह लोकतंत्र के इतिहास में काला अध्याय है, जिसकी जितनी भी निन्दा की जाए कम है.”
राजबब्बर के साथ पीएल पूनिया, अजय राय और कांग्रेस के तमाम नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया और उसके बाद छोड़ दिया गया. कांग्रेस के नेता अभी भी वाराणसी में जमे हुए हैं. आज ग़ुलाम नबी आज़ाद, प्रमोद तिवारी और संजय सिंह भी वाराणसी पहुंच रहे हैं.
इसके अलावा समाजवादी पार्टी का भी आठ सदस्यीय एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को वाराणसी आ रहा है. प्रतिनिधिमंडल में कई विधायक भी हैं.
शनिवार देर रात BHU में हुई हिंसा और तनाव को देखते हुए परिसर में कई थानों की पुलिस बुलाई गई थी. साथ में बड़ी संख्या में पीएसी के जवान भी तैनात हैं.
विश्वविद्यालय परिसर में अफ़रा-तफ़री का माहौल
इस बीच, छात्रावासों को खाली कराने की कथित अफ़वाह के चलते परिसर में अफ़रा-तफ़री की स्थिति बनी हुई है. राज्य सरकार ने भी वाराणसी के आयुक्त और एडीजी से शनिवार रात परिसर में हुई कार्यवाही पर रिपोर्ट तलब की है.
उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव सूचना अवनीश अवस्थी ने बताया, “इस पूरे मामले में मुख्यमंत्री ने कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही की जाएगी. पत्रकारों पर हुए हमले के मामले में भी रिपोर्ट मांगी गई है.”
पुलिस ने की पत्रकारों की पिटाई
शनिवार देर रात छेड़खानी के विरोध में धरने पर बैठी छात्राओं को हटाने के लिए वाराणसी पुलिस ने बल प्रयोग किया था और उन्हें ज़बरन वहां से हटाया गया था.
लाठीचार्ज की सूचना पाकर कवरेज के लिए BHU पहुंचे पत्रकारों की भी जमकर पुलिस ने पिटाई की थी. पुलिसकर्मियों पर आरोप हैं कि पिटाई के बाद उन्होंने घायल पत्रकारों को BHU के ट्रॉमा सेंटर में इलाज तक के लिए नहीं जाने दिया.
इस मामले को लेकर लखनऊ में पत्रकारों ने मुख्यमंत्री के आवास का घेराव किया, जिसके बाद मुख्यमंत्री ने ये क़दम उठाया है.
इस बीच रविवार देर शाम BHU गेट के बाहर छात्र-छात्राओं ने एक बार फिर धरने पर बैठने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने उन्हें हटा दिया. इसके बावजूद छात्र मार्च पास्ट और जुलूस निकालने में क़ामयाब रहे.
विश्वविद्यालय प्रशासन ने दशहरा अवकाश को अकादमिक कैलेंडर से एक दिन पहले ही घोषित कर दिया है. इसके बाद तमाम छात्र-छात्राएं रविवार से ही घरों को जाने में लगे हैं लेकिन अभी भी बड़ी संख्या छात्र- छात्रावासों में बने हुए हैं और रह-रह कर नारेबाज़ी और प्रदर्शन कर रहे हैं.
-समीरात्मज मिश्र
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