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Friday 29 September 2017

अर्थव्यवस्था पर बयानबाजी जेटली और सिन्हा के बीच व्यक्तिगत जंग में तब्दील

देश की अर्थव्यवस्था में कमजोरी के माहौल को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली और यशवंत सिन्हा के बीच की बयानबाजी व्यक्तिगत जंग में तब्दील होती दिख रही है। 80 साल की उम्र में नौकरी मांगने के अरुण जेटली के बयान से बुरी तरह बिफरे यशवंत सिन्हा ने कहा कि मैं मुद्दों की बात कर रहा हूं, लेकिन वह निजी हमले कर रहे हैं। सिन्हा ने कहा कि जिन्होंने लोकसभा की शक्ल नहीं देखी, वह मुझ पर नौकरी मांगने का आरोप लगा रहे हैं।
सिन्हा ने कहा, ‘जेटली ने कहा कि मैं नौकरी तलाश रहा हूं। वह मेरा बैकग्राउंड भूल गए हैं। वह भूल गए हैं कि मेरी 12 साल की आईएएस नौकरी बाकी थी, और मैंने सब छोड़कर राजनीति जॉइन की थी। आज कोई कहे कि मैं 80 साल की आयु में नौकरी मांग रहा हूं तो यह सही कैसे हो सकता है।’
सिन्हा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘1989 में वीपी सिंह देश के पीएम थे, उन्होंने मुझे शपथ के लिए राष्ट्रपति भवन बुलाया था। मैं बिना शपथ के वापस आ गया क्योंकि मुझे लगा कि वह मेरे साथ न्याय नहीं कर रहे। मैंने मंत्री पद का त्याग किया, आईएएस का पद छोड़ दिया। मैंने राजनीति में दर-दर की ठोकर खाईं। राजनीति में प्रवेश करने के 15 दिन के भीतर मैंने चुनाव लड़ा। जिन्होंने लोकसभा की शक्ल नहीं देखी, वह मुझ पर नौकरी मांगने का आरोप लगा रहे हैं।
सिन्हा ने जेटली पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि आईएएस की नौकरी और राज्य मंत्री जैसे पद का त्याग करने वाले व्यक्ति पर वह नौकरी मांगने का आरोप लगा रहे हैं। वहीं, जेटली ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में बिना चुनाव लड़े ही राज्य मंत्री का पद लिया था। सिन्हा ने कहा, ‘जेटली जी से आप खुद पूछ सकते हैं कि 2014 में मैंने खुद चुनावी राजनीति से हटने का फैसला लिया था।’ बेटे को मुकाबले में उतारे जाने पर कहा कि उन्होंने मुझ पर कोई निजी हमला नहीं किया है।
30 साल में लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाए जेटली
अरुण जेटली ने कभी चुनाव न जीत पाने पर तंज कसते हुए यशवंत सिन्हा ने कहा कि मैंने आईएएस की नौकरी छोड़ने के 15 दिनों के भीतर अपने लिए एक संसदीय क्षेत्र का चुनाव कर लिया था। वह 30 साल बाद भी एक लोकसभा सीट की तलाश में हैं। सिन्हा ने कहा कि जेटली कभी लोकसभा में नहीं रहे, इसलिए उन्हें पता नहीं है कि लोगों की अपेक्षाएं क्या होती हैं और समस्याएं क्या होती हैं। सिन्हा ने पत्रकारों से कहा, ‘जेटली आज की नौजवान पीढ़ी से जाकर पूछें कि क्या उन्हें नौकरी मिल रही है ? मुझे नहीं पता कि अरुण जेटली के पास कितने लोग नौकरी मांगने के लिए आते हैं। वह कभी लोकसभा में रहे ही नहीं तो उन्हें इस बारे में पता नहीं होगा।’
पनामा मामले में क्यों नहीं हुई कार्यवाही?
जेटली की ओर से नोटबंदी का विरोध करने वालों को ब्लैक मनी का समर्थक बताए जाने पर सिन्हा ने कहा, ‘एचएसबीसी ने 740 लोगों की लिस्ट जारी की थी, उन लोगों पर आज तक क्या कार्यवाही हुई है। पनामा पर भारत में कोई कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है।’ उन्होंने कहा कि इस बारे में ज्यादा जानना है तो आप राम जेठमलानी से संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने इस मामले में पीएम मोदी को 9 पेज का पत्र भी लिखा था।
जेटली के करीबी दोस्त हैं पी. चिदंबरम
यशवंत सिन्हा ने तंज कसते हुए कहा कि इसी तरह काम करते रहे तो 2019 का चुनाव जीतेंगे। मेरी दोस्ती चिदंबरम से न कभी थी और न है। अरुण जेटली चिदंबरम के करीबी मित्र रहे हैं। लोकसभा का सदस्य ही समझ सकता है कि किसी संसदीय क्षेत्र में 15 से 16 लाख लोगों की चिंता कैसे की जा सकती है। जेटली के इस्तीफे को लेकर सिन्हा ने कहा कि यह सवाल पीएम मोदी से पूछा जाना चाहिए।
-एजेंसी

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