अब किरकुक के केंद्रीय इलाक़ों में प्रवेश किया इराक़ के सरकारी सैन्यबलों ने | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Tuesday 17 October 2017

अब किरकुक के केंद्रीय इलाक़ों में प्रवेश किया इराक़ के सरकारी सैन्यबलों ने

इराक़ के सरकारी सैन्यबलों ने विवादित शहर किरकुक के बाहर अहम ठिकानों का नियंत्रण कुर्द बलों से लेने के बाद अब किरकुक के केंद्रीय इलाक़ों में प्रवेश कर लिया है.
इराक़ी सेना के आगे बढ़ने से पहले हज़ारों लोग शहर से पलायन कर गए हैं.
कुर्दिस्तान के विवादित जनमतसंग्रह के तीन सप्ताह बाद इराक़ी सैन्यबल किरकुक में दाख़िल हुए हैं.
इराक़ी सैन्य बल इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के भागने के बाद से कुर्दों के नियंत्रण वाले इलाक़ों पर फिर से नियंत्रण करने के उद्देश्य से आगे बढ़ रहे हैं.
क्यों शुरू हुआ है ये अभियान?
25 सितंबर को हुए जनमतसंग्रह में किरकुक समेत कुर्द नियंत्रण वाले इलाक़ों के लोगों ने इराक़ से अलग होने के लिए मतदान किया था.
किरकुक कुर्दिस्तान से बाहर है लेकिन यहां रहने वाली कुर्द आबादी को जनमतसंग्रह में मतदान करने दिया गया था.
इराक़ के प्रधानमंत्री हैदर अल अबादी ने मतदान को असंवैधानिक क़रार दिया था लेकिन कुर्दिस्तान की क्षेत्रीय सरकार (केआरजी) ने इसे वैध मानने पर ज़ोर दिया था.
वहीं अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि वो तनाव कम करने के लिए सभी पक्षों के साथ वार्ता कर रहे हैं.
सोमवार को ज़ारी किए गए एक बयान में पीएम अबादी ने कहा कि किरकुक का अभियान जनमतसंग्रह के बाद “विभाजन के ख़तरे का सामना कर रहे देश की एकता को सुरक्षित रखने के लिए ज़रूरी है.”
इराक़ी सेना के अधिकारियों ने सोमवार को बताया था कि सैन्य टुकड़ियों ने के-1 सैन्य अड्डे, बाबा गुरगुर तेल और गैस क्षेत्र और एक सरकारी तेल कंपनी के दफ़्तर पर नियंत्रण कर लिया है.
इराक़ी सरकार का कहना है कि पशमर्गा बल बिना झड़पों के पीछे हट गए हैं हालांकि शहर के दक्षिण की ओर झड़पों की ख़बरे हैं.
सोमवार दोपहर एक ओर जहां हज़ारों लोग दोनों पक्षों की ओर से झड़पों के डर से शहर छोड़कर भाग रहे थे, इराक़ी सैन्यबल किरकुक के केंद्रीय इलाक़ों में दाख़िल हो रहे थे. सोशल मीडिया पर साझा की गई एक तस्वीर में इराक़ी सैन्यबलों को गवर्नर के ऑफ़िस में बैठे हुए दिखाया गया है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक सैन्यबलों ने इराक़ के राष्ट्रीय ध्वज के साथ फहराए गए कुर्द झंडे को उतार दिया है.
जिस रफ़्तार से इराक़ी सैन्यबल शहर में दाख़िल हुए हैं उसके बाद दोनों प्रमुख कुर्द बलों की पार्टियों ने एक-दूसरे पर धोखा देने के आरोप लगाए हैं.
साज़िश के आरोप
सत्ताधारी कुर्दिस्तान डेमोक्रेटिक पार्टी (केडीपी) के राष्ट्रपति मसूद बर्ज़ानी के नेतृत्व वाली पशमर्गा जनरल कमांड ने पैट्रियॉटिक यूनियन ऑफ़ कुर्दिस्तान (पीयूके) पर ‘कुर्दिस्तान के लोगों के ख़िलाफ़ साज़िश’ में मदद करने के आरोप लगाए हैं.
वहीं पीयूके ने अपने बलों को पीछे हटने का आदेश देने में शामिल होने से इंकार करते हुए कहा है कि उनके दर्जनों लड़ाकों मारे गए हैं या घायल हुए हैं. पीयूके ने कहा है कि “किरकुक की लड़ाई में अब तक केडीपी पशमर्गा बलों का एक भी लड़ाका नहीं मारा गया है.”
इसी बीच तुर्की ने इराक़ का समर्थन करते हुए कहा है कि वह इराक़ी क्षेत्र से पीकेके की उपस्थिति को ख़त्म करने के लिए कोई भी सहयोग करने के लिए तैयार है. तुर्की को डर है कि कुर्दिस्तान की आज़ादी के बाद तुर्की की अल्पसंख्यक कुर्द आबादी भी ऐसी ही मांग कर सकती है.
पीकेके- कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी- तुर्की में सक्रिय कुर्द अलगाववादी समूह है जो 1980 के दशक से तुर्की में कुर्दों की स्वायत्तता के लिए संघर्ष कर रहा है. पीकेके को तुर्की के साथ-साथ यूरोपीय संघ और अमरीका चरमपंथी समूह मानते हैं.
आखिर क्या है विवाद की जड़?
किरकुक इराक़ का एक तेल संपन्न क्षेत्र है जिस पर इराक़ की केंद्रीय सरकार के साथ-साथ क्षेत्रीय कुर्द सरकार अपना दावा करती रही है. ऐसा माना जाता है कि ये कुर्द बहुल क्षेत्र है, लेकिन इसकी प्रांतीय राजधानी में अरब और तुर्क मूल के लोग भी रहते हैं.
कुर्द पशमर्गा लड़ाकों ने साल 2014 में कथित इस्लामिक स्टेट से इस प्रांत का बड़ा हिस्सा वापस हासिल किया था जब इस्लामिक स्टेट ने उत्तरी इराक़ पर कब्जा कर लिया था.
जनमतसंग्रह के नतीजे घोषित होने के बाद इराक़ी संसद ने प्रधानमंत्री अबादी से किरकुक जैसे विवादित क्षेत्रों में सेना तैनात करने की मांग की थी लेकिन अबादी ने बीते सप्ताह कहा था कि वो सयुंक्त प्रशासन के मॉडल के लिए तैयार हैं और इस क्षेत्र में सशस्त्र संघर्ष नहीं चाहते हैं.
प्रधानमंत्री अबादी ने कहा था, “हम अपने लोगों और कुर्द नागरिकों के ख़िलाफ़ जंग नहीं छेड़ सकते हैं.”
वहीं रविवार को इराकी संसद ने केआरजी पर किरकुक में ग़ैर पशमर्गा लड़ाकों जिनमें पीकेके के लड़ाके भी शामिल हैं, को तैनात करने का आरोप लगाते हुए इसे युद्ध की घोषणा के बराबर कहा था. लेकिन केआरजी के अधिकारियों ने इससे इनकार किया है.
क्यों चिंतित है अंतर्राष्ट्रीय समुदाय?
कुर्द जनमत पर इराक़ ही नहीं अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने भी नाराज़गी जताई थी.
पेंटागन की प्रवक्ता लौरा सील ने कहा था कि अमरीका इराक़ में अस्थिरता बढ़ाने और इस्लामिक स्टेट के साथ जारी जंग से ध्यान भटकाने वाले क़दमों को ना उठाए जाने का आग्रह करता है. इसके साथ ही ईरान और तुर्की ने भी इस मुद्दे पर इराक़ का समर्थन किया है.
कौन हैं कुर्दिस्तानी लोग?
इराक़ की कुल आबादी में कुर्दों की हिस्सेदारी 15 से 20 फ़ीसद के बीच मानी जाती है. साल 1991 में स्वायत्तता हासिल करने के पहले उन्हें दशकों तक दमन का सामना करना पड़ा था.
-BBC

The post अब किरकुक के केंद्रीय इलाक़ों में प्रवेश किया इराक़ के सरकारी सैन्यबलों ने appeared first on Legend News: Hindi News, News in Hindi , Hindi News Website,हिन्‍दी समाचार , Politics News - Bollywood News, Cover Story hindi headlines,entertainment news.

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad