जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था प्रकरण: पंकज यादव की अध्यक्षता वाली प्रबन्ध समिति अवैध घोषित | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Wednesday 11 October 2017

जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था प्रकरण: पंकज यादव की अध्यक्षता वाली प्रबन्ध समिति अवैध घोषित

मथुरा। जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था की पंकज यादव की अध्यक्षता वाली प्रबन्ध समिति सूची वर्ष 2015-16 को जांच में अवैध घोषित कर दिया गया है एवं बाबा जयगुरुदेव के जीवित अवस्था वाली प्रबन्ध समिति की सूची वर्ष 2010-11 को जांच में विधिमान्य माना है, जिसके उपाध्यक्ष कुं. राम प्रताप हैं।
पंकज यादव की ओर से दाखिल कूटरचित दस्तावेजों पर कार्यवाही करने वाले उपनिबन्धक आगरा उदयवीर सिंह यादव को दोषी मानते हुये उनके विरुद्ध कार्यवाही की संस्तुति भी जांच में की गयी है। पंकज यादव व रामकृष्ण यादव के विरुद्ध जांच कर दोषी पाये जाने पर वसूली किये जाने के निर्देश भी उपनिबन्धक आगरा को दिया गया है। जांच अधिकारी ने सम्पूर्ण प्रकरण को अत्यन्त गंभीर मानते हुए सीबीआई से जांच कराये जाने की संस्तुति शासन से की है। जांच रिपोर्ट से पंकज यादव गुट में भारी हड़कम्प की स्थिति है।
जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था का विवाद एक बार फिर से सुर्खियों में है। स्वामी तुलसीदास जी महाराज के नाम से विख्‍यात बाबा जयगुरुदेव की मृत्‍यु के उपरांत उमाकान्त तिवारी व पंकज यादव की ओर से स्वंय को बतौर उत्तराधिकारी संस्था का अध्यक्ष बताते हुये उपनिबन्धक फर्म्स, सोसायटीज एवं चिट्स आगरा के कार्यालय में प्रबन्ध समिति की अपनी-अपनी सूचियां प्रस्तुत की गईं। दिनांक 06 जुलाई 2012 को उपनिबन्धक ने उमाकान्त तिवारी की सूची निरस्त कर पंकज यादव की सूची को स्वीकार कर लिया। इस आदेश के विरुद्ध इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका योजित की गयी। उक्त याचिका पर दिनांक 24 जुलाई 2012 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आदेश पारित कर उपनिबन्धक आगरा के 6 जुलाई 12 के आदेश को क्षेत्राधिकार रहित माना। उच्‍च न्यायालय ने अवधारित किया कि स्वामी तुलसी दास जी (बाबा जयगुरुदेव) के जीवनकाल की प्रबन्ध समिति की सूची वर्ष 2010-11 वैध है। उच्च न्यायालय ने बाबा जयगुरुदेव के उत्तराधिकारी का मामला सिविल न्यायालय से निर्णीत कराने का निर्देश दोनों पक्षों को दिया एवं संस्था संचालन का अन्तरिम अधिकार उपाध्यक्ष रामप्रताप को सौंप दिया। उच्च न्यायालय के उक्त आदेश में अन्तरिम व्यवस्था के बिन्दु पर पंकज यादव की ओर से स्पेशल अपील की गयी। उक्त अपील को निस्तारित करते हुये उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने केवल अन्तरिम व्यवस्था के बिन्दु पर पुनः सुनवाई हेतु मामला एकल खण्डपीठ को भेज दिया।
तत्पश्चात् एकल खण्डपीठ ने आदेश पारित किया कि स्थिति में परिवर्तन आ चुका है। अब उभय पक्ष सिविल न्यायालय में जा चुके हैं इसलिये अन्तरिम व्यवस्था की मांग भी सिविल न्यायालय में की जाए।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उपनिबन्धक आगरा द्वारा पारित आदेश 6 जुलाई 12 का स्वतः शून्य हो गया, किन्तु पंकज यादव गुट व्यवहारिक रूप से काबिज रहा। पंकज यादव गुट की ओर से प्रत्येक वर्ष प्रबन्ध समिति सूची कार्यालय में दाखिल की जाती रही किन्तु वह केवल फाइल पर मौजूद रही, पंजीकृत नहीं हुई लेकिन आश्चर्यजनक रूप से वर्ष 2015-16 की सूची तत्कालीन उपनिबन्धक उदयवीर सिंह यादव द्वारा पंजीकृत कर ली गयी। इतना ही नहीं, संस्था का अगले पांच वर्षों के लिये नवीनीकरण कर उसका प्रमाण पत्र भी रामकृष्ण यादव को सौंप दिया गया।
इसकी शिकायत निर्विवादित प्रबन्ध समिति वर्ष 2010-11 के उपाध्यक्ष कुं. रामप्रताप द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा व सम्बन्धित वरिष्ठ अधिकारियों से की गयी। उप्र शासन एवं रजिस्ट्रार फर्म्स, सोसायटीज एवं चिट्स उप्र के आदेश पर उपनिबन्धक लखनऊ मुख्यालय एके सिंह द्वारा इसकी जांच की गयी। दोनों पक्षों को सुनने व संस्था की सम्पूर्ण पत्रावली एवं उच्च न्यायालय इलाहाबाद के सभी आदेशों का परिशीलन कर जांच अधिकारी ने अपनी जांच रिपोर्ट रजिस्ट्रार उप्र को सौंप दी है।
अपनी जांच में उपनिबन्धक ने लखनऊ मुख्यालय ने निष्कर्ष दिया है कि तत्कालीन उपनिबन्धक आगरा उदयवीर सिंह यादव ने वर्ष 2015-16 की पंकज यादव की अध्यक्षता वाली सूची उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा पारित आदेशों की विपरीत पंजीकृत की है, जो विधि-विरुद्ध व शून्य है। जांच अधिकारी ने पाया कि संस्था के नवीनीकरण का प्रमाण पत्र रामकृष्ण यादव तथा कथित महामंत्री को नहीं दिया जाना चाहिये था, बल्कि संस्था हित में उसे पत्रावली पर रखा जाना उचित होता।
जांच अधिकारी ने वर्ष 2010-11 की प्रबन्ध समिति की सूची को विधिमान्य घोषित करते हुये स्पष्ट किया है कि उक्त सूची स्वामी तुलसीदास जी महाराज के जीवनकाल वाली सूची है व निर्विवादित है, वर्तमान में उक्त वर्ष की सूची के अनुसार उपाध्यक्ष कुं. राम प्रताप सहित 59 सदस्यों द्वारा समिति का संचालन किया जाना संवैधानिक व विधि संगत होगा।
जांच अधिकारी एके सिंह ने उपनिबन्धक आगरा को निर्देशित किया है कि सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट की धारा 11 के अनुसार समिति की सम्पत्ति को हानि पहुंचाने के लिये अनाधिकृत व्यक्तियों पंकज कुमार, रामकृष्ण की भूमिका की जांच धारा 23 व 24 के अन्तर्गत सम्पादित कराएं, यदि उक्त व्यक्ति दोषी पाये जाते हैं तो समिति के विधि मान्य उपाध्यक्ष रामप्रताप को निर्देशित करें कि दोषी व्यक्तियों के वाद दायर करें और समिति की समस्त वांछित सम्पत्ति की वसूली उनसे सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट को प्रावधानों के अनुसार करायी जाये।
जांच अधिकारी ने मामले को अत्यन्त गंभीर मानते हुये समिति द्वारा धारित सम्पत्ति इत्यादि का सही ढंग से अन्वेषण/जांच सीबीआई से ही कराया जाना उचित माना एवं उप्र शासन से इसकी प्रबल संस्तुति की है। जांच अधिकारी ने जांच में पाया कि संस्था अध्यक्ष स्वामी तुलसी दास जी महाराज (बाबा) जयगुरुदेव के निधन दिनांक 18 मई 2012 के बाद से कूटरचित दस्तावेजों, मनगढ़ंत, कपोल कल्पित, मिथ्या, छल-कपट, धोखा एवं दुर्व्‍यपदेशन पूर्ण ढंग से कार्यवाहियां सम्पादित करके अनाधिकृत अवैध व्यक्तियों द्वारा समिति को हड़प लिया गया है। संस्था का कार्यक्षेत्र राष्ट्र व्यापी है इसलिये ऐजेन्सी द्वारा जांच आवश्यक है। तत्कालीन उपनिबन्धक आगरा उदयवीर सिंह यादव के विरुद्ध उपाध्यक्ष राम प्रताप द्वारा की गयी शिकायत को पोषणीय मानते हुये उनके विरुद्ध विभागीय कार्यवाही की संस्तुति भी की गयी है।
सभी दस्‍तावेजों सहित इस पूरे निर्णय की जानकारी जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था की अविवादित प्रबन्ध समिति वर्ष 2010-11 के उपाध्‍यक्ष कुं. रामप्रताप और संस्‍था के अधिवक्‍ता प्रदीप राजपूत ने दी।
-Legend News

The post जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था प्रकरण: पंकज यादव की अध्यक्षता वाली प्रबन्ध समिति अवैध घोषित appeared first on Legend News: Hindi News, News in Hindi , Hindi News Website,हिन्‍दी समाचार , Politics News - Bollywood News, Cover Story hindi headlines,entertainment news.

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad