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Tuesday, 10 October 2017

Kalashtami Vrat Katha | कालाष्टमी व्रत कथा, पूजा विधि व महत्व

Kalashtami Vrat Katha Puja Vidhi In Hindi | Bhairav Ashtami| हिन्दू पंचांग के हर माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के काल भैरव रूप की पूजा की जाती है तथा व्रत रखा जाता है। मार्गशीर्ष माह की कालाष्टमी को सबसे प्रमुख कालाष्टमी माना जाता है। इसी अष्टमी को काल भैरव जयंती मनाई जाती है। यह मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव भैरव के रूप में प्रकट हुए थे। कालभैरव जयन्ती को भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

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Kalashtami Vrat Katha In Hindi

कालाष्टमी व्रत कथा | Kalashtami Vrat Katha In Hindi
भैरवाष्टमी या कालाष्टमी की कथा के अनुसार एक समय श्रीहरि विष्णु और ब्रह्मा के मध्य विवाद उत्पन्न हुआ कि उनमें से श्रेष्ठ कौन है। यह विवाद इस हद तक बढ़ गया कि समाधान के लिए भगवान शिव एक सभा का आयोजन करते हैं। इसमें ज्ञानी, ऋषि-मुनि, सिद्ध संत आदि उपस्थित थे। सभा में लिए गए एक निर्णय को भगवान विष्णु तो स्वीकार कर लेते हैं, किंतु ब्रह्मा जी संतुष्ट नहीं होते। वे महादेव का अपमान करने लगते हैं। शांतचित शिव यह अपमान सहन न कर सके और ब्रह्मा द्वारा अपमानित किए जाने पर उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया। भगवान शंकर प्रलय के रूप में नजर आने लगे और उनका रौद्र रूप देखकर तीनों लोक भयभीत हो गए। भगवान शिव के इसी रूद्र रूप से भगवान भैरव प्रकट हुए। वह श्वान पर सवार थे, उनके हाथ में दंड था। हाथ में दंड होने के कारण वे ‘दंडाधिपति’ कहे गए। भैरव जी का रूप अत्यंत भयंकर था। उन्होंने ब्रह्म देव के पांचवें सिर को काट दिया तब ब्रह्म देव को उनके गलती का एहसास हुआ। तत्पश्च्यात ब्रह्म देव और विष्णु देव के बीच विवाद ख़त्म हुआ और उन्होंने ज्ञान को अर्जित किया जिससे उनका अभिमान और अहंकार नष्ट हो गया।

कालाष्टमी पूजा विधि | Kalashtami Puja Vidhi in Hindi
भगवान शिव के भैरव रूप की उपासना करने वाले भक्तों को भैरवनाथ की षोड्षोपचार सहित पूजा करनी चाहिए और उन्हें अघ्र्य देनी चाहिए। रात्रि के समय जागरण कर शिव एवं पार्वती की कथा एवं भजन कीर्तन करना चाहिए। भैरव कथा का श्रवण और मनन करना चाहिए। मध्य रात्रि होने पर शंख, नगाड़ा, घंटा आदि बजाकर भैरव जी की आरती करनी चाहिए। भगवान भैरवनाथ का वाहन ‘श्वान’ (कुत्ता) है। अत: इस दिन प्रभु की प्रसन्नता के लिए कुत्ते को भोजन कराना चाहिए।

हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन प्रात:काल पवित्र नदी या सरोवर में स्नान कर पितरों का श्राद्ध व तर्पण कर भैरव जी की पूजा व व्रत करने से समस्त विघ्न समाप्त हो जाते हैं। भैरव जी की पूजा व भक्ति से भूत, पिशाच एवं काल भी दूर रहते हैं। शुद्ध मन एवं आचरण से जो भी कार्य करते हैं, उनमें इन्हें सफलता मिलती है। कालाष्टमी का व्रत धार्मिक ग्रन्थ के अनुसार जिस दिन अष्टमी तिथि रात्रि के दौरान बलवान होती है उस दिन कालाष्टमी का व्रत करना चाहिए। इसलिए यह व्रत कभी कभी सप्तमी तिथि में भी आ जाता है।

काल भैरव मंत्र | Kal Bhairav Mantra in Hindi
“ह्रीं वटुकाय आपदुद्धारणाय कुरुकुरु बटुकाय ह्रीं”
“”ॐ ह्रीं वाम वटुकाय आपदुद्धारणाय वटुकाय ह्रीं””
“ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं हरिमे ह्रौं क्षम्य क्षेत्रपालाय काला भैरवाय नमः”

कालाष्टमी का महत्व | Importance of Kalashtami in Hindi
कालाष्टमी को भगवान शिव के रूद्र रूप काल भैरव की पूजा करने से हमें स्वयं भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। घास नकारात्मक ऊर्जा और बीमारियां दूर होती हैं तथा साड़ी इच्छाओं की पूर्ति होती हैं।

2017 में कालाष्टमी की तारीख | Dates of Kalashtami in 2017

  • 19 जनवरी (बृहस्पतिवार) कालाष्टमी
  • 18 फरवरी (शनिवार) कालाष्टमी
  • 20 मार्च (सोमवार) कालाष्टमी
  • 18 अप्रैल (मंगलवार) कालाष्टमी
  • 18 मई (बृहस्पतिवार) कालाष्टमी
  • 16 जून (शुक्रवार) कालाष्टमी
  • 16 जुलाई (रविवार) कालाष्टमी
  • 14 अगस्त (सोमवार) कालाष्टमी
  • 12 सितम्बर (मंगलवार) कालाष्टमी
  • 12 अक्टूबर (बृहस्पतिवार) कालाष्टमी
  • 10 नवम्बर (शुक्रवार) कालभैरव जयन्ती
  • 09 दिसम्बर (शनिवार) कालाष्टमी

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