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Saturday 11 November 2017

संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं स्वरोजगार खोलकर बनें स्वावलम्बीः जे. घोष

संस्कृति विश्वविद्यालय में उद्यमिता विकास पर हुई कार्यशाला

मथुरा। भारत युवाओं का देश है और बेरोजगारी उसकी सबसे बड़ी समस्या है। इस समस्या से निजात पाने के लिए युवाओं को आज नौकरी की बजाय स्वरोजगार की तरफ ध्यान देने की जरूरत है। एक सफल उद्यमी बनने के लिए अपनी क्षमता का अन्वेषण, जोखिम प्रबंधन, सतत प्रयास और नव प्रवर्तन आवश्यक है उक्त सारगर्भित उद्गार मुख्य अतिथि एमएसएमई आगरा सेण्टर के उप-निदेशक जे. घोष ने संस्कृति विश्वविद्यालय में उद्यमिता विकास पर हुई तीन दिवसीय कार्यशाला में छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। कार्यशाला का शुभारम्भ कुलपति डा. देवेन्द्र पाठक, एसोसिएट डीन एकेडमिक डा. संजीव कुमार सिंह ने मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया।

श्री घोष ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि वे नौकरी के पीछे भागने की बजाय सूक्ष्य एवं लघु उद्योग स्थापित कर स्वावलम्बी बनें और दूसरों को भी रोजगार के अवसर प्रदान करें। उन्होंने अनुशासन, आत्मविश्वास एवं बाजार की आवश्यकता की समझ को उद्यमिता का आधार बताया। इस अवसर पर एमएसएमई के योगेन्द्र सिंह ने कहा कि उद्यमिता के क्षेत्र में सफल होने के लिए आप अपना मनोबल ऊंचा रखें। अपनी स्किल को डेवलप करने के साथ ही हमेशा सकारात्मक सोच के साथ अनुशासित होकर कड़ी मेहनत करें। श्री सिंह ने छात्र-छात्राओं को स्वरोजगार स्थापित करने वाले सभी विभागों की जानकारी देते हुए सरकार द्वारा दी जा रही मदद के बारे में भी विस्तार से बताया।
कार्यशाला में सनबीन सोलर प्राइवेट लिमिटेड के संस्थापक महावीर सिंह ने छात्र-छात्राओं को बताया कि आज देश में रोजगार की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है लिहाजा सभी को नौकरी मिलना असम्भव है। इन विषम परिस्थितियों में एक ही रास्ता है जोकि सारी समस्याओं का निदान कर सकता है, वह है उद्यमिता विकास। आवश्यकता इस बात की है कि हम जिस सेक्टर में ज्ञान और रुचि रखते हैं उसी में प्रयास करें। श्री सिंह ने छात्र-छात्राओं को बताया कि सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में अपार सम्भावनाएं हैं लेकिन सफलता के लिए जरूरी है कि हम नई सोच को जमीनी धरातल दें। इसके लिए युवा वर्ग को तकनीकी क्षेत्र में आगे आकर दक्षता हासिल करना जरूरी है।

कुलपति डा. देवेन्द्र पाठक ने छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि वे उद्यमिता विकास के लिए अपने अंदर उद्यमी व्यक्ति के गुणों को बढ़ायें। उद्यमी बनना एक व्यक्तिगत कौशल है, इसमें स्वयं की अहम भूमिका होती है। वास्तव में प्रत्येक व्यक्ति को उद्यमी बनने के लिए प्रेरणा की जरूरत होती है उसे यह प्रेरणा बचपन से दी जाती है या विशेष प्रशिक्षण द्वारा दी जा सकती है। सामाजिक, आर्थिक कारक व्यक्ति की उद्यमिता भावना को बहुत अधिक प्रभावित करते हैं। इसके लिए नियोजित ढंग से ठोस कदम उठाना जरूरी होता है। कार्यशाला में प्राध्यापक इलेक्ट्रिकल एण्ड इलेक्ट्रानिक्स डा. रीना रानी ने छात्र-छात्राओं को प्रधानमंत्री युवा योजना पर विस्तार से जानकारी दी।

विश्वविद्यालय के उप-कुलाधिपति राजेश गुप्ता ने अपने संदेश में छात्र-छात्राओं का आह्वान किया कि उन्होंने इस कार्यशाला में जो कुछ सीखा है उसे अमल में लाकर अपने तथा अपने अभिभावकों के सपनों को साकार करें। आशीष कुमार पांडेय और शिवांक अग्रहरी ने कार्यशाला को मील का पत्थर निरूपित करते हुए कहा कि भविष्य में इसका लाभ छात्र-छात्राओं को जरूर मिलेगा। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रबंधन निर्मल कुंडू, विभागाध्यक्ष मैकेनिकल इंजीनियरिंग विंसेंट बालू, मनोज ओझा आदि उपस्थित थे। ओएसडी मीनाक्षी शर्मा ने अतिथियों को स्मृति चिह्न भेंट किया। निदेशक पालीटेक्निक विनय आनंद ने आभार माना।

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