इत्तेफाक: मूवी रिव्यू | Alienture हिन्दी

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Friday 3 November 2017

इत्तेफाक: मूवी रिव्यू

मुंबई। अगर हम साठ के दौर के आखिर में बनी बी आर चोपड़ा प्रॉडक्शन की फिल्म इत्तेफाक का जिक्र करें तो उस फिल्म में पहली बार डायरेक्टर ने एक-साथ कई ऐसे प्रयोग किए थे जो उस वक्त बॉक्स आफिस के लिए घातक माने जाते थे।
बेशक, उसी दौर में टिकट खिड़की पर कानून जैसी ऑफ बीट फिल्में कामयाब रहीं थीं लेकिन साठ-सत्तर के दौर के सुपरस्टार राजेश खन्ना को लेकर बिना गाने सिर्फ डेढ़ घंटे की फिल्म बनाना रिस्की थी। उस दौर में जब तीन घंटे की फिल्में चला करती थीं। इस फिल्म को कुल 90 मिनट की अवधि का बनाया गया। बॉक्स आफिस पर फिल्म हिट कराने के लिए ऐक्शन, कॉमिडी और म्यूजिक का तड़का लगाना जरूरी माना जाता था लेकिन चोपड़ा बैनर की उस फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं था लेकिन इसके बाद बावजूद फिल्म टिकट खिड़की पर कामयाब रही।
वैसे, चोपड़ा के बैनर तले बनी यह फिल्म भी अमेरिकन मूवी ‘साइनपोस्ट: टू मर्डर’ की रीमेक थी तो इस शुक्रवार को आई इत्तेफाक राजेश खन्ना की फिल्म का रीमेक है, प्रॉडक्शन कंपनी ने रिलीज से पहले इस फिल्म के सस्पेंस को पूरी तरह से छिपाने के लिए क्या कुछ नहीं किया, मुंबई सहित कहीं भी इस फिल्म की प्रिव्यू स्क्रीनिंग नहीं रखी गई तो फिल्म की स्टारकॉस्ट और क्रू मेम्बर्स को सख्त हिदायत दी थी कि क्लाइमेक्स का कहीं जिक्र ना करें। हद तो उस वक्त हो गई जब प्रॉडक्शन कंपनी ने फिल्म को बिना प्रमोशन ही रिलीज करने का फैसला लिया।
स्टोरी प्लॉट: विक्रम सेठी ( सिद्धार्थ मल्होत्रा) एक नामी राइटर हैं। अचानक एक हादसे में विक्रम की वाइफ कैथरीन सेठी की मौत हो जाती है, दूसरी ओर इसी दिन माया ( सोनाक्षी सिन्हा) के हज्बेंड एडवोकेट शेखर सिन्हा की भी हत्या हो जाती है। पुलिस की जांच के दौरान कैथरीन की मौत शक की दायरे में नजर आती है, हालात ऐसे बनते हैं, इन दोनों मर्डर केस की जांच कर रहे इंस्पेक्टर देव (अक्षय खन्ना) को लगता है कि इन हत्याओं के पीछे कैथरीन के हज्बेंड विक्रम सेठी का हाथ है सो मर्डर का चार्ज विक्रम पर लगता है।
दरअसल, विक्रम रात को हुए ऐक्सिडेंट के बाद माया के घर मदद मांगने गया था। एडवोकेट शेखर सिन्हा के मर्डर केस में देव का शक शेखर की वाइफ माया सिन्हा पर भी है। इंस्पेक्टर देव इन मर्डर की गुत्थी को अपने ढंग से सुलझाने में लगा हुआ है, सो वह विक्रम और माया को अपनी-अपनी बात कहने का मौका देता है। बेशक देव के शक के घेरे में पहला नाम विक्रम ही है लेकिन माया भी शक की सुइयां रुकती हैं, ऐसे में देव के जेहन में एक ही सवाल है कि कातिल का मकसद क्या है और कातिल कौन है ? रिव्यू में अगर हम इस बारे में कुछ भी बताते है तो आपका फिल्म देखने का मजा किरकिरा हो जाएगा।
यंग डायरेक्टर अभय चोपड़ा ने इस डार्क शेड मर्डर मिस्ट्री को कुछ ऐसे असरदार ढंग से पेश किया है कि आप एंड तक जान नहीं पाते कि हत्यारा कौन है, यही वजह है करीब पौने दो घंटे की फिल्म आपको सीट से बांधे रखती है। अभय ने कहानी को कुछ इस एंगल से पर्दे पर उतारा है कि फिल्म में हुए दो मर्डर होते हैं और दर्शक एंड तक अपनी अपनी सोच से हत्यारे का अंदाजा लगाते रहते है।
जॉन अब्राहम स्टारर ढिशूम के बाद से अक्षय खन्ना ने अपना स्टाइल बदला है, इस फिल्म में अक्षय ने गजब की ऐक्टिंग की है, इंस्पेक्टर देव के रोल में अक्षय खूब जमे है तो वहीं सिदार्थ मल्होत्रा ने अपने रोल को कुछ अलग ढंग से पेश करने की अच्छी कोशिश की है। वहीं माया के रोल में सोनाक्षी सिन्हा ने अपने किरदार को बस निभा भर दिया है, अगर सोनाक्षी सिन्हा और सिदार्थ के किरदारों पर और ज्यादा काम किया जाता तो यह दोनों किरदार फिल्म को और ज्यादा पावरफुल बना सकते थे।
क्यों देखें: अक्षय खन्ना की शानदार ऐक्टिंग और यंग डायरेक्टर अभय की कहानी पर पकड़ फिल्म की यूएसपी है। अगर आपको सस्पेंस थ्रिलर फिल्में पंसद है तो इत्तेफाक आपको अपसेट नहीं करेगी।
-एजेंसी

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