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Thursday 9 November 2017

आगरा नगर निगम का चुनाव – सही मेयर व पार्षद चुनें वे ही बदल सकते है आगरा की तस्वीर

आगरा नगर निगम का चुनाव होने जा रहा  है, पिछले अनुभव सुखद नहीं रहे हैं। शासन और नगर निगम की नौकरशाही ने जनहितों और शहर की आधारभूत  जरूरतों को नजर अंदाज कर जम के मनमानी की। मुख्‍य रूप से इसका कारण प्रथम दृष्‍यत: मेयर की कुर्सी पर उन महानुभावों का विराजमान  होना रहा है जो कि निगम के वेतन भोगी तंत्र से दायित्‍व निर्वाहन करवाने में अक्षम साबित हुए ।

अगर किसी ने किसी मामले पर या योजना को लेकर नाराजगी का इजहार भी  किया तो उसे  शांत करवाने को उसकी निजि प्रथमिकताओं मे से कुछ को करवा देने का हथकंडा अपनाया गया।
मैं आगरा की जनता के सामने  नगर निगम की मौजूदा स्‍थिति को रखना चाहता हूं:
–महानगर के नाले निहायत बदइंतजामी की स्‍थिति में हैं। नाला मास्‍टर प्‍लान क्रियान्‍वित न करवा के नालों का पानी सीधा यमुना नदी में जा रहा है,या फिर टैप करके महानगर के मलमूत्र उत्‍प्रवाह को शोधित करने के लिये बने सीवरेज ट्रीटमेंट प्‍लांटों में लेजाया जा रहा है। फलस्‍वरूप सीवर ट्रीटमेंट प्‍लांट फेल हो चुके है और नालों की गंदगी जाने से सीवर लाइनों की सफाई करवाते रहना निगम / जलसंस्‍थान  तंत्र का गोरखधंधा बन गया है।
मेरा मानना हैकि आगरा नगर निगम और इसके तहत संचालित  जल संस्‍थान माननीय प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदीजी के ‘नमामी गंगे ‘प्रोजेक्‍ट को आगरा में फेल करने के दोषी हैं।
आगरा नगर निगम के तहत क्रियान्‍वित  हुई जेएनयूआरएम योजना पूरी तरह से फ्लाप साबित हुई है। पूरा धन योजना के डिटेल प्रोजैक्‍ट रिपोर्ट(डीपीआर) के अनुसार मिलने के बावजूद  न तो पानी की आपूर्ति को पाइप लाइनें ही डाली जास कीं और नहीं सीवर लाइन तंत्र ही प्रभावी किया जा सका।
जेएनयूआर एम के तहत निगम की साख के आधार पर लिये गये अनुपातिक अंश कर्ज के धन से संचालित जेएनयूआर एम बसों का नगरीय बस सेवा के रूप में  संचालन पूरी तरह से फ्लाप रहा है। मेयर के पद पर उपयुक्‍त परपक्‍वता वाले व्‍यक्‍ति के नहाने से अरबों रूपये का यह व्‍यवसायिक  प्राजेक्‍ट अनुपयोगी व केवल शोपीस सा साबित हो रहा है। अगर आडिट रिपोर्टें सार्वजनिक होतो करोडों यपये के घपले  इस बस सेवा के संचालन व प्रबंधन तंत्र से जुडे अफसरों की संलिप्‍तता सामने आयेगी।
आगरा को गंगाजल प्रोजेक्‍ट के नाम पर 2007 से भ्रमित करने का काम चल रहा है। कर्ज ले रबनी यह योजना अब तक क्रियान्‍वित नहीं हो सकी जबकि  इसका एस्‍टीमेंट और कास्‍टिंग निरंतर बढते जा रहे है। अगर यह योजना पूरी भी हो गयी तो भी महज 2025 तककी जरूरतों के अनुरूप ही है। हर अफसर हवाला देकर टाल रहे है कि गंगाजल पाइप लाइन से पानी आने पर आगरा का जल संकट दूर हो जायेगा किन्तु कोई भी तारीख बताने की स्थिति में नहीं है दूसरा महत्वपूर्ण विषय है कि आज भी पानी की जरूरत लगभग 280 mld से अधिक है गंगा जल पाइप लाइन से यदि पानी मिला तो सिर्फ 130 mld ही मिलेगा शेष जरूरत की क्या व्यवस्था है ? आगरा बैराज और ताज बैराज का मंत्री जी ऐलान कर चुके है आगरा वासियों की समस्या का हल तभी होगा ।  जमीनी पानी का स्तर डार्क जोन में पहुंच चुका है ।
मेयर को पदेन इस योजना की मानीटरिंग का हक है किन्‍तु शायद ही इसकी जरूरत कभी महसूस की हो।
-तेजतरार मेयर के न होने के कारण  जिन योजनाओं की जानकारी /भागीदारी नगरायुक्‍त के रूप में  पदेन अधिकारी  लेते है उनसे न तो न तो नगर प्रमुख और नहीं नगर निगम सदन ही समय से अवगत होते रहे हैं।
-वर्तमान में भी आगरा की जनता के साथ छल चल रहा है, दो अरब रुपये स्‍मार्ट सिटी के नाम पर खर्च हो रहे ओर अरबों आने वाले वक्‍त में खर्च होने है किन्‍तु जनता इससे अवगत नहीं  है। इसके कामों की प्रथमिकता तय करने के लिये  निगम के भीतर भी एक लिमिटेड कंपनी बना डाली गयी है। इस कंपनी के बोर्ड में मेयर ,विधायको, संसदों या निगम सदन के सदस्‍यों को प्रतिनिधित्‍व दिये जाने के स्‍थान पर वे अफसर ही शामिल हैं, जिनको पहले से ही जनता की सेवा करने के बडे बडे दायित्‍व मिले हुए है । दुर्भाग्‍य यह है कि इस कंपनी के गठन का रास्‍ता नगर निगम के पार्षदों और मेयर ने खुद ही खोला था। अंग्रेजी में कंपनी के गठन के प्रस्‍ताव स्‍मार्ट सिटी योजना के रूप में पेश किये जाते रहे और आगरा की जनता के प्रतिनिधी अपनी आधी अधूरी जानकारियों पर विश्‍वास कर अपनी सहमति जताते रहे। अब तो खैर इस बीमारी से पीछा छूटना लगभग नामुमकिन सा ही है।
वर्तमान में नगर निगम चुनाव के रूप एक अवसर जनता के सामने मौजूद है अगर परपक्‍व और मुखर व्‍यक्‍ति को मेयर चुन सके तब तो कुछ राहत और बेतरतीबी से कर रोपड का कारण बने  नगर निगम मे व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार और फिजूल खर्चे को रोका जा सेगा । अन्‍यथा आगरा की जनता का बात बात में जुर्माना कानूनों और टैक्‍सों के दायरें में फंसते जाना तय है।
हमारा मत है कि कि राजनैतिक दलों खासकर सत्‍ता दल को किसी भी ऐसे व्‍यक्‍ति को कम से कम मेयर पद का दावेदार  नहीं बनाना चाहिये जो कि नगर निगम और सरकारी विभागों में ठेकेदारी करता रहा हो । व्‍यापारियों और उद्यमियों के विरोधी नहीं हैं सबको राजनीति करने का पूरा अधिकार है। हमारा मानना हे कि आगरा का मेयर वह होना चाहिये जो कि कम से कम अंग्रेजी बोलने और समझने की  योग्‍यता जरूर रखता हो, उसके पास आगरा के विकास का विजन और ब्लूप्रिंट हो आगरा को बदलने का जनून हो क्योंकि अब आगरावासी आगरा को देश का सबसे अच्छा शहर बनाने की ठान चुके हें उन्हें सिर्फ ईमानदारी से रास्ता दिखाना है ।
जलाधिकार टीम द्वारा वितरित पोष्टकार्ड से लगभग 5200 पोष्टकार्ड प्राप्त हुए है और अभी भी आ रहे हैं जनता द्वारा लिखित रूप में भेजी गई समस्याओं व समाधान में सबसे ज्यादा पानी की समस्या को इंकित किया गया है ।

जलाधिकार टीम पूरी रिपोर्ट माननीय मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, श्नी सुनील बंसलजी, आगरा ब्रज प्रदेश प्रभारी श्री भवानी सिंह, कमिश्नर, जिलाधिकारी आदि को भेज चुकी है और मांग करती है कि रिपोर्ट के आधार पर ही आगरा की योजनाएं बना कर शीघ्र पूरी की जायें ।

अधिकतर सदस्यों की राय थी कि श्री पूरन डाबर जैसे व्यक्ति ही मेयर के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवार हो सकते है जिनमें आगरा को बदलने की क्षमता है और भाजपा व संघ के बहुत पुराने कार्यकर्ता हैं ।
आज जलाधिकार टीम से श्री चरनजीत थापर, राजीव सक्सैना, डा अनुराग शर्मा, राजेश कुमार, अशोक कुशवाहा, बीरेन्द्र भारद्वाज(वकील), अजीत गर्ग(वकील), नितिन अग्रवाल, अनूप कुमार, तत्सत शर्मा, ठाकुर चरण सिंह के अलावा कुछ महिलाऐं भी उपस्थित रहीं ।

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