नई दिल्ली। भारत LAC पर 17 भूमिगत सुरंगें बनाने की योजना पर काम कर रहा है। सड़कों से भिन्न सुरंगें बनने से LAC तक पहुंचने की दूरी काफी कम हो जाएगी। साथ ही हर मौसम में कनेक्टिविटी बनी रहेगी। ऐसे में अगर डोकलाम जैसे विवाद भविष्य में हुए तो भारी बर्फबारी के समय भी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों पर सैनिकों की टुकड़ी या आपूर्ति को आसानी से पहुंचाया जा सकेगा जबकि अभी सड़क मार्ग बंद हो जाता है।
वैसे तो चीन सीमा पर 73 सड़कों (ICBRs) पर काम पहले से जारी है पर भारत अब पूरे लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर बेहतर कनेक्टिविटी के लिए मजबूत विकल्प तलाश रहा है। यह विकल्प सुरंगों का है। अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सीमा पर सड़क बनाने में जमीन अधिग्रहण और फ़ॉरेस्ट क्लियरंस मिलने में काफी मुश्किल आती है जबकि सुरंगों के मामले में ऐसा नहीं होगा।
इस क्षेत्र में अपनी क्षमता और तकनीकी दक्षता की जरूरत के मद्देनजर सीमा पर निर्माण कार्य करने वाली भारत की प्रमुख एजेंसी बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइज़ेशन (BRO) ने इसी हफ्ते दो दिन का एक सेमिनार आयोजित किया था। इसमें DMRC, सड़क यातायात एवं राजमार्ग मंत्रालय, रेलवे, भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI), सेना और ऐसे निर्माण कार्य से जुड़ी कई विदेशी फर्म ने हिस्सा लिया था। सेमिनार में इस बात को लेकर चर्चा की गई कि सुरंगों के निर्माण के लिए कौन सी तकनीक का इस्तेमाल किया जाए।
सीमा पर सड़क बनाने में चुनौतियां
– लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक पूरी LAC पर सेना की चौकियां और आम जनता सालभर में करीब 6 महीने बारिश या बर्फबारी के कारण अलग-थलग हो जाती है। इसका सड़क मार्ग से संपर्क टूट जाता है।
– ऐसे में जवानों या आपूर्ति को चौकियों तक पहुंचाने के लिए केवल एयर सपॉर्ट का ही विकल्प बचता है।
– डोकलाम विवाद के बाद भारत LAC पर 73 सड़कों के निर्माण में तेजी से काम कर रहा है।
– इन सड़कों के बनने से सीमावर्ती क्षेत्र में विकास कार्य भी सुनिश्चित होगा। BRO को 61 सड़कों की जिम्मेदारी सौंपी गई है और उसमें से 27 पर काम पूरा हो गया है।
– वैसे इस परियोजना पर काम 1999 में ही शुरू हो गया था पर सीमा पर चुनौतियां बढ़ती गईं। सबसे बड़ी समस्या भूमि अधिग्रहण की सामने आई। इसमें कई पक्ष थे, जिसमें केन्द्र, राज्य, वन अधिकारी और कई तरह के कानून आदि शामिल हैं।
समाधान की तलाश
– सड़क निर्माण में तमाम समस्याओं को देखते हुए BRO अब बेहतर कनेक्टिविटी के लिए सुरंगों के निर्माण की दिशा में काम कर रहा है। एक BRO अधिकारी ने बताया, ‘एक पहाड़ से दूसरे पहाड़ होते हुए लंबी सड़क बनाने से अच्छा है कि सुरंग बनाई जाए। हिमस्खलन और भूस्खलन से भी बचा जा सकेगा।’
– उदाहरण के तौर पर देखें तो जम्मू और कश्मीर में 10.9 किमी लंबी चेनानी-नाशरी सड़क सुरंग बनने से चेनानी और नाशरी के बीच की दूरी 41 किमी से घटकर 9.2 किमी रह गई। इससे 44 ऐसी जगहों से भी बचा जा सका जहां अक्सर भूस्खलन और हिमस्खलन होते थे।
– BRO ने LAC पर 17 हाईवे सुरंगों (100 किमी) की योजना बनाई है। इनमें से कुछ पर काम शुरू भी हो चुका है। अभी फोकस लद्दाख पर है।
-एजेंसी
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