वॉशिंगटन। सान फ्रांसिस्को में भारत के महावाणिज्य दूत Venkatesan Ashok ने कहा कि चिकित्सा, भोजन समेत जिन हालातों में वह रहे, वह गुलामी वाले हालात से कुछ अलग नहीं थे।
गिरमिटिया श्रमिक के रूप में दुनियाभर के विभिन्न हिस्सों में गए भारतीयों ने गजब की जीवटता दिखाई और तरह-तरह की परेशानियों का सामना करने के बावजूद सफल हुए। सान फ्रांसिस्को में भारत के एक वरिष्ठ राजनयिक ने यह बात कही।
कई महीनों लंबी समुद्री यात्रा के दौरान गिरमिटिया श्रमिकों को जिन मुश्किलों का सामना करना पड़ता था उनका जिक्र करते हुए सान फ्रांसिस्को में भारत के महावाणिज्य दूत वेंकटेशन अशोक ने कहा कि चिकित्सा, भोजन समेत जिन हालातों में वह रहे, वह गुलामी वाले हालात से कुछ अलग नहीं थे।
भारत से गिरमिटिया श्रमिकों को फिजी, मॉरिशस तथा कैरीबियाई द्वीपसमूह भेजे जाने के चलन के खत्म होने के सौ वर्ष पूरे होने पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मुश्किल हालात के बावजूद भारत के गिरमिटिया श्रमिकों ने गजब की जीवटता दिखाई और सफल हुए।
‘गिरमिटिया : भारतीय गिरमिटिया प्रवासियों के संघर्ष का इतिहास, वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएं’ विषय पर फाउंडेशन फॉर इंडियन एंड इंडियन डायसपोरा स्टडीज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अपने संबोधन में अशोक ने कहा कि भारत की सरकार दुनियाभर में मौजूद बड़ी संख्या में प्रवासियों के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी हुई है।
Venkatesan Ashok के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के महासचिव श्याम परांदे ने उन प्रवासियों की इस यात्रा को संघर्ष से सफलता की ओर बताया।
-एजेंसी
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