हिंदी साहित्य की एक अनुपम देन है दुष्यंत कुमार की रचनाएं | Alienture हिन्दी

Breaking

Post Top Ad

X

Post Top Ad

Recommended Post Slide Out For Blogger

Friday, 29 December 2017

हिंदी साहित्य की एक अनुपम देन है दुष्यंत कुमार की रचनाएं

दुष्यंत कुमार का जन्म साल के अंतिम दिनों में 30 दिसंबर को हुआ था। हिंदी में गजलों के प्रमुख स्तंभ दुष्यंत कुमार की कविताएं, शेर और शायरी हिंदी साहित्य की एक अनुपम देन है। दुष्‍यंत कुमार ने नए साल पर भी लिखा है। नए साल पर उनकी एक कविता हम यहां पेश कर रहे हैं।

नया साल आए, नया दर्द आए
मैं डरता नहीं हूँ, हवा सर्द आए,

रहे हड्डियों में ज़रा भी जो ताकत
रहे पथ सलामत, रहे पथ सलामत
बड़ी गर्द आए, पड़ी गर्द आए
मुझे यह पता है, कि हर प्यार है गम…
मुझे यह पता है, कि हर प्यार है गम

इसी से नहीं दुःख या है तो बहुत कम
हरेक दर्द गाना, हरेक दर्द प्यार
हरेक विघ्न-मक्खी शहद की भनक
सलामत रहे पंथ भी, दर्द भी
जहाँ चार बर्तन हैं होगी खनक!
नया साल आए, अंधेरा बढ़े…
नया साल आए, अंधेरा बढ़े,
दर्द तेरा बढ़े, दर्द मेरा बढ़े,
उम्र घटती रहे यूँ ही इस दर्द की
रास्तों पर अंधेरा, सवेरा बढ़े

हाँ, नया साल आए उजाला मिले
भूला-भटका हुआ साथ वाला मिले
उम्र की ट्रेन में ज़िंदगी का सफर
कट सके मौज से वह रिसाला मिले..
-एजेंसी

The post हिंदी साहित्य की एक अनुपम देन है दुष्यंत कुमार की रचनाएं appeared first on Legend News: Hindi News, News in Hindi , Hindi News Website,हिन्‍दी समाचार , Politics News - Bollywood News, Cover Story hindi headlines,entertainment news.

No comments:

Post a Comment

Post Top Ad